guruch meaning in braj
गुरच के ब्रज अर्थ
संज्ञा, स्त्रीलिंग
- गिलोय
गुरच के हिंदी अर्थ
गुरुच, गुर्च
संस्कृत ; संज्ञा, स्त्रीलिंग
-
एक प्रकार की मोटी बेल जो रस्सी के रूप में बहुत दूर तक चली जाती है और दवा के काम आती है, गिलोय
विशेष
. यह बेल पेड़ों पर चढ़ी मिलती है और बहुत दिनों तक रहती है। इसकी पत्तियाँ पान के आकार की गोल-गोल होती है। इसकी गाँठों में से जटाएँ निकलती हैं जो बढ़कर जड़ पकड़ लेती है। गुरुच दो प्रकार की देखने में आती है। एक में फल नहीं लगते। दूसरे में गुच्छों में मकोय की तरह के फूल, फल लगते हैं और उसके पत्ते कुछ छोटे होते हैं। गुरुच के डंठल का आयुर्वेदिक औषधियों में बहुत प्रयोग होता है। वैद्यक में गुरुच तिक्त, उष्ण, मलरोधक, अग्निदीपक तथा ज्वर, दाह, वमन, कोढ़ आदि को दूर करने वाली मानी जाती है। नीम पर की गुरुच दवा के लिए अच्छी मानी जाती है। इसे कूटकर इसका सत भी बनाते हैं। ज्वर में इसका काढ़ा बहुत दिया जाता है।उदाहरण
. गुरुच के पुष्प गुच्छों में और पीले रंग के होते हैं।
देशज ; संज्ञा, पुल्लिंग
- बढ़इयों का रंदे की तरह का एक औज़ार जिससे लकड़ी गोल की जाती है
गुरुच के तुकांत शब्द
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