हलदी

हलदी के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

हलदी के हिंदी अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • डेढ़ दो हाथ ऊँचा एक पौधा जिसमें चारों ओर टहनियाँ नहीं निकलतीं, कांड के चारो हाथ पौन हाथ लंबे और तीन चार अंगुल चौड़े पत्ते निकलते हैं

    विशेष
    . इसकी जड़, जो गाँठ के रूप में होती है, व्यापार की एक प्रसिद्ध वस्तु है, क्योंकि वह मसाले के रूप में नित्य के व्यवहार की भी वस्तु है और रँगाई तथा औषध के काम में भी आती है । गाँठ पीसने पर बिलकुल पीली हो जाती है । इससे दाल, तरकारी आदि में भी यह डाली जाती है और इसका रंग भी बनता है । इसकी खेती हिंदुस्तान में प्रायः सब जगह होती है । हलदी की कई जातियाँ होती हैं । साधारणतः दो प्रकार की हलदी देखने में आती है—एक बिलकुल पीली, दूसरी लाल या ललाई लिए जिसे रोचनी हलदी कहते हैं । वैद्यक में यह गरम, पाचक, अग्निवर्धक और कृमिघ्न मानी जाती है । रँगाई में काम आनेवाली हलदी की जातियाँ ये हैं—लोकहाँड़ी हलदी, मोयला हलदी, ज्वाला हलदी और आँबा हलदी ।

  • उक्त पौधे की गाँठ जो मसाले आदि के रूप में व्यवहार में लाई जाती है

हलदी से संबंधित मुहावरे

हलदी के अंगिका अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • एक पौधा जिसकी ग्रंथीमय जड़ मसालों में व्यवहार की जाती है

हलदी के तुकांत शब्द

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