harishchandra meaning in hindi
हरिश्चंद्र के हिंदी अर्थ
विशेषण
- सोने की सी चमक वाला, स्वर्णाभ
संज्ञा, पुल्लिंग
-
सूर्यवंश का अट्ठाईसवाँ राजा जो त्रिशंकु का पुत्र था
विशेष
. पुराणों में ये बड़े ही दानी और सत्यव्रती प्रसिद्ध हैं। मार्कंडेय पुराण में इनकी कथा विस्तार से आई है। इंद्र ने ईर्ष्यावश विश्वामित्र की इनकी परीक्षा के लिए भेजा। विश्वामित्र ने इनसे सारी पृथ्वी दान में ली और फिर ऊपर से दक्षिणा माँगने लगे। राजा ने रानी सहित अपने को बेचकर ऋषि की दक्षिणा चुकाई। वे काशी में डोम के सेवक होकर श्मशान पर मुर्दा लानेवालों से कर वसूल करने लगे। एक दिन उनकी रानी ही अपने मृत पुत्र को श्मशान में लेकर आई। उसके पास कर देने के लिए कुछ भी द्रव्य नहीं था। राजा ने उससे भी कर नहीं छोड़ा और आधा कफ़न फड़वाया। इसपर भगवान ने प्रकट होकर उनके पुत्र को जिला दिया और अंत में अयोध्या की प्रजा सहित सबको वैकुंठ भेज दिया। महाभारत में राजसूय यज्ञ करके राजा हरिश्चंद्र का स्वर्ग प्राप्त करना लिखा है। ऐतरेय ब्राह्मण में 'शुनःशेप' की गाथा के प्रसंग में भी हरिश्चंद्र का नाम आया है; पर वहाँ कथा दूसरे ढंग की है। उसमें हरिश्चंद्र इक्ष्वाकु वंश के राजा वेधस के पुत्र कहे गए हैं। गाथा इस प्रकार है— नारद के उपदेश से राजा ने पुत्र की कामना करके वरुण से यह प्रतिज्ञा की कि जो पुत्र होगा, उसे वरुण को भेंट करूँगा। वरुण के वर से जब राजा को पुत्र हुआ, तब उसका नाम उन्होंने रोहित रखा। जब वरुण पुत्र माँगने लगे, तब राजा बराबर टालते गए। जब रोहित बड़ा होकर शस्त्र धारण के योग्य हुआ, तब वह मरना स्वीकार न कर जंगल में निकल गया और इंद्र के उपदेशानुसार इधर-उधर फिरता रहा। अंत में वह अजीगर्त नामक एक ऋषि के आश्रम पर पहुँचा और उनसे सौ गायों के बदले में शुनःशेप नामक उनके मझले पुत्र को लेकर अपने पिता के पास आया जिन्हें वरुण के कोप से जलोदर रोग हो गया था। शुनःशेप को यज्ञ में बलि देने के लिए जब सब तैयारियाँ हो चुकीं, तब शुनःशेप अपने छुटकारे के लिए सब देवताओं की स्तुति करने लगा। अंत में इंद्र के उपदेश से उसने अश्विवनीकुमार का स्मरण किया जिससे उसके बंधन कट गए और रोहित के पिता हरिश्चंद्र का जलोदर रोग भी दूर हो गया। जब शुनःशेप मुक्त होकर अपने पिता के साथ न गया, तब विश्वामित्र ने उसे अपना बड़ा पुत्र बनाया।उदाहरण
. हरिश्चंद्र आजीवन सत्य पर टिके रहे।
हरिश्चंद्र के तुकांत शब्द
संपूर्ण देखिएहरिश्चंद्र के ब्रज अर्थ
हरिचंद
संज्ञा, पुल्लिंग
- सूर्यवंशी एक राजा जिनका व्रत सत्य बोलना था
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