जरई

जरई के अर्थ :

  • स्रोत - हिंदी

जरई के हिंदी अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • धान आदि के वे बीज जिनमें अंकुर निकले हों

    विशेष
    . धान को दो दिन तक दिन में दो बार पाना से भिगोते हैं, फिर तीसरे दिन उसे पयाल के नीचे ढककर ऊपर से पत्थर्रों से दबा देते है जिसे 'मारना' कहते हैं । फिर एक दिन तक उसे उसी तरह पड़ा रहते देते हैं, दूसरै या तीसरे दिन फिर खोलते है । उस समय तक बीजों में से सफेद सफेद अंकुर निकल आते है । फिर उन्हें फैला देते हैं और कभी सुखाते भी हैं । ऐसे बीजों को जरई और इस क्रिया को 'जरई करना' कहते हैं । यह जरई खेत में बोने के काम आती है और शीघ्र जमती है । कभी कभी धान की मुजारी भी बंद पानी में डाल दी जाती है और दौ तीन दिन तक वैसे ही पड़े रहती हैं, चौथे दिन उसे खोलते है । उस समय वे बीज जरई हो जाते हैं । कभी कभी इस बात की परीक्षा के लिये कि बीज जम गया या नहीं, भिन्न भिन्न आनों की भिन्न भिन्न रीति से जरई की जाती है।

  • दे॰ 'जई'

जरई के अवधी अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • धान बोने की एक विधि

जरई के ब्रज अर्थ

  • रत्न जटित

स्त्रीलिंग

  • नवांकुर ; धान आदि का अंकुरित बीज

जरई के भोजपुरी अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • अंकुरित धान;

    उदाहरण
    . जरई के हेगवसल खेत में छींट द।

Noun, Feminine

  • rooted paddy.

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