kaaliijaarii meaning in hindi
कालीजारी के हिंदी अर्थ
संज्ञा, स्त्रीलिंग
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कालीजारी kālījārī संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ कणजीर, हिं॰ काला + जीरा] एक औषधि
विशेष
. इसका पेड़ ४—५ हाथ ऊँचा होता है और इसकी पत्तियाँ गहरी हरी, गोल ५—६ अंगुल चौड़ी और नुकीली होती हैं, तथा उनके किनारे दंदानेदार होते हैं । पेड़ प्रायः बरसता में उगता है और क्वार कातिक में उसके सिर पर गोल गोल घोड़ियों के गुच्छे लगते हैं, जिनमें छोटे छोटें पतले पतले बैगनी रंग के फुल या कुसुम निकलती है । फूलों के झड़ जाने पर बोड़ी बर्रे या कुसुम की बोड़ों की तरह बढ़ती जाती है और महीने भर में पककर छितरा जाती है । उसके फटने से भूरे रंग की रोई दिखाई पड़ती है जिसम���ं बडी झाल होती है । यह रोई बोड़ी के भीतर के बीज के सिर पर लगी रहती है और जल्दी अलग हो जाती है । काली जीरी खाने में कड़वी और चरपरी होती है । वैद्यक में इसे ब्रणानाशक तथा घाव, फोड़े आदि के लिये उपकारी माना है । ब्याई हुई घोड़ी के मसालों में भी यह दी जाती है ।
कालीजारी के तुकांत शब्द
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