काव्य

काव्य के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

काव्य के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Masculine

  • poetry

काव्य के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • वह वाक्य रचना जिससे चित्त किसी रस या मनोवेग से पूर्ण हो , वह कला जिसमें चुने हुए शब्दों के द्वारा कल्पना और मनोवेगों का प्रभाव डाला जाता है

    विशेष
    . रसगंगाधर में 'रममीय' अर्थ के प्रतिपादक शब्द को 'काव्य' कहा है । अर्थ की रमणीयता के अंतर्गत शब्द की रमणीयता (शब्दलंकार) भी समझकर लोग इस लक्षण को स्वीकार करते हैं । पर 'अर्थ' की 'रमणीयता' कई प्रकार की हो सकती है । इससे यह लक्षण बहुत स्पष्ट नहीं है । साहित्य दर्पणाकार विश्वनाथ का लक्षण ही सबसे ठीक जँचता है । उसके अनुसार 'रसात्मक वाक्य ही काव्य है' । रस अर्थात् मनोवेगों का सुखद संचार की काव्य की आत्मा है । काव्य- प्रकाश में काव्य तीन प्रकार के कहे गए हैं, ध्वनि, गुणीभूत व्यंग्य और चित्र । ध्वनि वह है जिस,में शब्दों से निकले हुए अर्थ (वाच्य) की अपेक्षा छिपा हुआ अभिप्राय (व्यंग्य) प्रधान हो । गुणीभूत ब्यंग्य वह है जिसमें गौण हो । चित्र या अलंकार वह है जिसमें बिना ब्यंग्य के चमत्कार हो । इन तीनों को क्रमशः उत्तम, मध्यम, और अधम भी कहते हैं । काव्यप्रकाशकार का जोर छिपे हुए भाव पर अधिक जान पड़ता है, रस के उद्रेक पर नहीं । काव्य के दो और भेद किए गए हैं, महाकाव्य और खंड काव्य । महाकाव्य सर्गबद्ध और उसका नायक कोई देवता, राजा या धीरोदात्त गुंण संपन्न क्षत्रिय होना चाहिए । उसमें शृंगार, वीर या शांत रसों में से कोई रस प्रधान होना चाहिए । बीच बीच में करुणा; हास्य इत्यादि और रस तथा और और लोगों के प्रसंग भी आने चाहिए । कम से कम आठ सर्ग होने चाहिए । महाकाव्य में संध्या, सूर्य, चंद्र, रात्रि, प्रभात, मृगया, पर्वत, वन, ऋतु सागर, संयोग, विप्रलंभ, मुनि, पुर, यज्ञ, रणप्रयाण, विवाह आदि का यथास्थान सन्निवेश होना चाहिए । काव्य दो प्रकार का माना गया है, दृश्य और श्रव्य । दृश्य काब्य वह है जो अभिनय द्वारा दिखलाया जाय, जैसे, नाटक, प्रहसन, आदि जो पढ़ने और सुनेन योग्य हो, वह श्रव्य है । श्रव्य काव्य दोट प्रकार का होता है, गद्य और पद्य । पद्य काव्य के महाकाव्य और खंडका��्य दो भेद कहे जा चुके हैं । गद्य काव्य के भी दो भेद किए गए हैं । कथा और आख्यायिका । चंपू, विरुद और कारंभक तीन प्रकार के काव्य और माने गए है । २

  • वह पुस्तक जिसमें कविता हो , काव्य का ग्रंथ
  • शुक्राचार्य
  • रोला छंद का एक भेद, जिसके प्रत्येक, तरण की ११ वीं मात्रा लघु पड़ती है , किसी किसी के मत से इसकी छठी, आठवीं, और दसवीं मात्रा पर यति होनी चाहिए , जैसे— अंजनि सुत यह दशा देखि अतिशै रिसि पाग्यो , बेगि जाय लव निकट शिला तरु मारन लाग्यो , खंडि तिन्हें सियपुत्र तीर कपि के तन मारे , बान सकल करि पान कीश निःफल करि डारे

विशेषण

  • कवि की विशेषताओं से युक्त
  • प्रशंसनीय, कथनीय

काव्य के पर्यायवाची शब्द

संपूर्ण देखिए

काव्य के ब्रज अर्थ

काब्य

पुल्लिंग

  • कविता , पद्यरचना

    उदाहरण
    . काव्य पद्धतिहि सोभा गहैं ।

  • काव्य ग्रन्थ; रोला छन्द का एक भेद

काव्य के मैथिली अर्थ

संज्ञा

  • भावनाप्रधान कलात्मक आ लयात्मक रचना, बहुधा कथा पर आश्रित

Noun

  • poem, spl long one.

अन्य भारतीय भाषाओं में काव्य के समान शब्द

उर्दू अर्थ :

नज़्म - نظم

शायरी - شاعری

पंजाबी अर्थ :

कवि साहित्तक रचना - ਕਵੀ ਸਾਹਿੱਤਕ ਰਚਨਾ

गुजराती अर्थ :

काव्य - કાવ્ય

कोंकणी अर्थ :

काव्य

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