कंकण

कंकण के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

कंकण के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • कलाई में पहनने का आभूषण ककना , कड़ा , खडुवा , चूड़ा

    उदाहरण
    . है कर कंकण दर्पण देषै ।

  • एक धागा जिसमें सरसों आदि की पुटली पीले कपड़े में बाँधकर लोहे के एक छल्ले के साथ विवाह के समय से पहले दुलहा या दुलहिन के साथ में रक्षार्थ बाँधते हैं

    विशेष
    . विवाह में देशाचार के अनुसार चोंकर, सरसों, अजवायन आदि की नौ पोटलियाँ पीले कपड़ं में लाल ताँगे से बाँधते हैं । एक तो लोहे के छल्ले के साथ दूल्हा या दुलहिन के हाथ में बाँध दी जाती है और शेष आठ मूसल, चवकी, ओखली, पीढ़ा । हरिस, लोढ़ा कलश आदि में बाँधी जाती है । ३

  • एक प्रकार का षाड़व राग जो गांधार से आरंभ होता है और जिसमें पंचम स्वर वर्जित है , इसमें प्रायः मध्यम स्वर का अधिक प्रयोंग होता है , इसके गाने का समय दोपहर के उपरांत संध्या तक होता है , क्रि॰ प्र॰—बाँधना , —खोलना , —पहनना , —पहनाना
  • ताल के आठ भेदों में से एक
  • आभूषण , मंडल (को॰)
  • मुकुट , ताज (को॰)

कंकण के ब्रज अर्थ

कंडूण

पुल्लिंग

  • कलाई का आभूषण-विशेष , कड़ा, चूड़ा
  • विवाह के समय पर कन्या के हाथ में सूत्र व पीले वस्त्र सहित बाँधा जाने वाला आभूषण

कंकण के मैथिली अर्थ

संज्ञा

  • कगना

Noun

  • bracelet.

कंकण के मालवी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग, स्त्रीलिंग

  • कंगन, चूड़ी, कड़ा, हाथ का आभूषण।

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