कपूर

कपूर के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

कपूर के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एक सफेद रंग का जमा हुआ सुगधिंत द्रव्य जो वायु में उड़ जाता है और जलाने से जलता है

    विशेष
    . प्राचिनों से अनुसार कपूर दो प्रकार का होता है । एक पक्व दूसरा अपक्व । राजनिघंटु और निघंटुरत्नाकार में पोतास, भामसेन, हिम इत्यादि इसके बहुत भेद माने गए हैं और इनके गुण भी अलग अलग लिखे हैं । कवियों और साधारण गवाँरो का विश्वास है की केले में स्वाती की बूंद पडने से कपूर उत्पन्न होता है । जायसी ने पद्मावत में लिखा है—'पड़े धरनि पर होय कचूरू । पड़े कदलि मँह होय कपुरूँ' । आजकल कपूर कई वृक्षों से निकाला जोता है । ये सबके सब वृक्ष प्रायः दारचीनी के जाति के हैं । इनमें प्रधान पेड़ दारचीनी कपूरी मियाने कद का सदाबहार पेड़ है जो चीन, जापान, कोचीन और फारमूसा (ताइवान) में होता है । अब इसके पेड़ हिंदुस्तान में भी देहरादून और निलगिरि पर लगाए गए हैं और कलकत्ते तथा सहारनपुर के कंपनी बागों में भी इनके पेड़ हैं । इससे कपूर निकालने की विधी यह है—इसकी पतलीपतलीचैलीयों और डालियों तथा जड़ों के टुकड़े बंद बर्तन में जिससे कुछ दूर तक पानी भरा रहता है, इस ढंग से रखे जाते हैं की उनका लगाव पानी से न रहे । बर्तन के नीचे आग जलाई जाती है । आँच लगने से लकड़ियों में से कपूर उड़कर ऊपर के ढक्कन में जम जाता है । इसकी लकड़ी भी संदूक आदि बनाने के काम में आती है । दालचीनी जीलानी—इसका पेड़ उँचा होता है । यह दक्खिन में कोंकन से दक्खिन पश्चिमी घाट तक और लंका, टनासरम, बर्मा आदि स्थानों में होता है । इसका पत्ता तेजपात और छाल दारचीनी है । इससे भी कपूर निकलता है । बरास—यह बोर्निया और सुमात्रा में होता है और इसका पेड बहुत उँचा होता है । इसके सौ वर्ष से अधीक पुराने पेड़ के बीच से तथा गाँठो में से कपूर का जमा हुआ डला निकलता है और छिलकों के नीचें से भी कपूर निकलता है । इस कपूर को बरास, भीमसेनी आदि कहते हैं और प्राचीनों ने इसी को अपक्व कहा है । पेड़ में कभी कभी छेव लगाकर दूध निकलते हैं जो जमकर कपूर हो जाता है । कभी पुराने की पेड़ की छाल फट जाती है और उससे आप से आप दूध निकलने लगता है जो जमकर कपूर हो जाता है । यह कपूर बाजारों में कम मिलता है और महँगा बिकता है । इसके अतिरिक्त रासायनिक योग से कीतने ही प्रकार के नकली कपूर बनते हैं । जापान में दारनी कपूरी की तेल से (जो लडकीयों को पानी में रखकर खींचकर निकाला जाता है) एक प्रकार कपूर का बनाया जाता है । तेल भूरे रंग का होता है और वार्निश का काम आता है । कपुर स्वाद में कडुआ, सुगंध में तीक्ष्ण और गुण में शीतल होता है । यह कृमिघ्न औऱ वायुशोधक होता है और अधिक मात्रा में खाने से विष का काम करता है ।

    उदाहरण
    . उसने आरती करने के लिए कपूर जलाया ।

कपूर के पर्यायवाची शब्द

संपूर्ण देखिए

कपूर के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Masculine

  • camphor

कपूर के अंगिका अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एक सफेद रंग का सुगन्धित द्रव्य जो हवा लगने से उड़ता है

कपूर के अवधी अर्थ

संज्ञा

  • कपूर

कपूर के कन्नौजी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • श्वेत रंग का एक गंध द्रव्य, जो रखने पर कुछ दिनों में उड़ जाता है. इसे आरती आदि करने में जलाया जाता है

कपूर के कुमाउँनी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • कपूर-एक सफेद रंग का जमा हुआ सुगन्धित द्रव्य जो वायु में उड़ जाता है और जलाने से जलता है

कपूर के गढ़वाली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • कपूर, एक गंधयुक्त सफेद कीटनाशक पदार्थ, 2. कर्पूर, पूजा, आरती, हवन आदि में प्रयोग होने वाला सफेद पदार्थ

Noun, Masculine

  • camphor, naphthalene, a pesticide which is generally kept with woolen clothes etc. a moth-repellent substance, camphor- a white strong smelling substance used in Puja & Aarti.

कपूर के बुंदेली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • कर्पूर श्वेत, सुगन्ध द्रव्य

कपूर के ब्रज अर्थ

पुल्लिंग

  • एक सफेद रंग का जमा हुआ सुगन्धित वायु में उड़ जाता है और जलाने से जलता है

    उदाहरण
    . मृगमद कपूर अगर बाति बारती ।

कपूर के मैथिली अर्थ

  • दे. कर्पूर

अन्य भारतीय भाषाओं में कपूर के समान शब्द

पंजाबी अर्थ :

कपूर - ਕਪੂਰ

गुजराती अर्थ :

कपूर - કપૂર

उर्दू अर्थ :

काफ़ूर - کافور

कोंकणी अर्थ :

कापूर

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