कत्थ

कत्थ के अर्थ :

कत्थ के मगही अर्थ

संज्ञा

  • दे. 'कत्था'

कत्थ के हिंदी अर्थ

हिंदी ; संज्ञा, पुल्लिंग

  • कसेरे की स्याही , लोहे की स्याही , —(रँगरेज)

    विशेष
    . १५ सेर पानी में आध सेर गुड़ या शक्कर मिलाकर घड़े में रख देते हैं । फिर उस घड़े में कुछ लोहचून छोड़कर उसे धुप में उठने के लिये रख देते हैं । थोड़े दिनों में यह उठने लगता है और मुँह पर गाज जमा है, तब यह पक्का हो जाता है और रँगाई के काम के योग्य हो जाता है । इसे लोहे की स्याही—मायल भूरे रंग का हो जाता है, तब यब पक्का हो जाता है और रँगाई के काम के योग्य हो जाता है । इसे लोहे की स्याही कहते हैं ।


संस्कृत ; संज्ञा, पुल्लिंग

  • कथा, बात, चर्चा

    उदाहरण
    . तब बोल्यो दुजराज विचारं । सुनि ससिवृत कत्थ इक सारं ।

कत्थ के कुमाउँनी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • कत्था, कहाँ, खैर की लकड़ियों को सुखाकर जमाया हुआ काढ़ा जो पान में खाया जाता है

कत्थ के ब्रज अर्थ

पुल्लिंग

  • कसेरे की स्याही , लोहे की स्याही
  • रगरेज, रंगाई का काम करने वाला

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