kedaarii meaning in hindi
केदारी के हिंदी अर्थ
संज्ञा, स्त्रीलिंग
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दीपक राग की पाँचवीं रागिनी जो रात के समय दूसरे पहर की पहली घड़ी में गाई जाती है , इसे केदार भी कहते हैं
विशेष
. यह ओड़व जाति की रागिनी है और इसमें ऋषभ तथा धैवत स्वर वर्जित हैं । इसका सरगम यह है ।—नि स ग म प नि नि । पर सोमोश्वर के मत से यह सपूर्ण जाति की रागिनी है और संध्या के समय गाई जाति है । इसका व्यवहार प्रायः वीर और शृंगार रस के वर्णन में किया जाता है ।उदाहरण
. केदारी दीपक राग की पाँचवीं रागिनी है ।
केदारी के तुकांत शब्द
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