ketukunDalii meaning in hindi

केतुकुंडली

  • स्रोत - संस्कृत

केतुकुंडली के हिंदी अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • फलित ज्योतिष के अनुसार बारह कोष्ठों का एक चक्र जिसमें प्रत्येक वर्ष का स्वामी निकाला जाता है

    विशेष
    . इस चक्र के बनाने की रीति यह है कि कोष्ठों में पहले कोष्ठ से आरंभ करके ग्रहों के नाम इस क्रम से रखते हैं— सूर्य, केतु, बुध, मंगल, केतु, वृहस्पति, चंद्रमा, केतु, शुक्र, राहु, केतु और शनि। फिर उत्तराभाद्र से आरंभ करके नक्षत्रों को कोष्ठों में इस प्रकार भरते हैं कि सूर्य आदि ग्रहें के नीचे तीन-तीन नक्षत्र और केतु के नीचे एक-एक नक्षत्र यथाक्रम पडे़। इसके उपरांत चक्र में कुंडली वाले के जन्म नक्षत्र को देखते हैं। वह नक्षत्र जिस ग्रह के केष्ठ में होता है, वही प्रथम वर्ष का वर्षेश होता है इसी प्रकार दूसरे, तीसरे आदि वर्षों का भी निकलते हैं। इसका प्रचार वंग देश में विशेष है।

केतुकुंडली के तुकांत शब्द

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