कुँदरू

कुँदरू के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत
  • अथवा - कुंदरू

कुँदरू के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एक बेल जिसमें चार-पाँच अंगुल लंबे फल लगते हैं और जिनकी तरकारी बनती है

    विशेष
    . ये फल पकने पर बहुत लाल होते हैं, इसी से कवि लोग ओठों की उपमा इनसें देते हैं। कुँदरू की पत्तियाँ चार-पाँच अंगुल लंबी और पचकोनी होती हैं। इसमें सफे़द फूल लगते हैं। वैद्यक में कुँदरू का फल शीतल, मलस्तंभक, स्तनों में दूध उत्पन्न करने वाला तथा श्वास, दमा, वात और सूजन को दूर करने वाला माना गया है। इसकी जड़ प्रमेहनाशक और धातुवर्धक मानी गई है। बरई प्रायः अपने पान के भीटों पर परवल की तरह इसकी बेल भीं चढ़ाते हैं। कुँदरू के विषय में यह भी प्रवाद चला आता है कि यह बुद्धिनाशक होता है।

  • एक प्रकार की लता से प्राप्त परवल के आकार का फल जिसकी सब्जी बनाई जाती है, बिंबा फल

    उदाहरण
    . शीला कुंदरू की सब्जी बना रही है ।

  • चीड़ नामक वृक्ष से निकलने वाला गोंद

कुँदरू के कन्नौजी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एक बेल और उसका फल जिसकी तरकारी बनती है

कुँदरू के बघेली अर्थ

कुँदुरू

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • परवल समूह का एक फल, तरकारी विशेष

कुँदरू के बुंदेली अर्थ

कुंदरू

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • परवल की तरह बेलों पर लगने वाले फल, ये पान के साथ बरेजों में होते हैं

कुँदरू के ब्रज अर्थ

कुंदरु

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एक बेल जिसमें परवल की तरह के छोटे फल लगते हैं

    उदाहरण
    . ओंउनि बीच दुरी कुंदरी।

  • एक बेल पर लगने वाला फल, बिंबा फल

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