कुरु

कुरु के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत
  • अथवा - कुरू

कुरु के ब्रज अर्थ

पुल्लिंग

  • आर्यों का एक प्राचीन कुल
  • एक प्रसिद्ध राजा जिसके वंश में पांडु और धृतराष्ट्र हुए थे; उक्त वंश में उत्पन्न पुरुष ; हिमालय के दक्षिण और उत्तर में स्थित प्राचीन देश विशेष

    उदाहरण
    . कुरु और हरिवर्ष केतुमाल ।

कुरु के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • वैदिक आर्यो का एक कुल
  • एक प्राचीन दोश जो दो भागों में विभक्त था—उत्तर कुरू और दक्षिण कुरु, दक्षिण कुरु हिमालय के दक्षिण में था, जिसमें पांचा- लादि देश थे; और उत्तर कुरु हिमालय के उत्तर में था जिसमें फारस, तिब्बत आदि देश थे, इसको लोग स्वर्ग भी कहते थे
  • एक सोमवशी राजा का नाम जिसके वंश में पांडु और धृतराष्ट्र हुए थे
  • कुरु के वश में उत्पन्न पुरुष
  • पुरो- हितकर्ता
  • पका हुआ चावल, भात

कुरु के गढ़वाली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • गेहूं के खेत में पैदा होने वाली खरपतवार; मवेशियों का चारा

Noun, Masculine

  • a sort of weed which grows along with wheat and used as fodder for cattle.

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