kuver meaning in braj

कुवेर

कुवेर के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

कुवेर के ब्रज अर्थ

विशेषण

  • पुराणानुसार यक्षों और किन्नरों के राजा जो रावण के सौतेले भाई थे और इंद्र की निधियों के भंडारी माने जाते हैं, यही विश्व की समस्त सम्पत्ति के स्वामी माने जाते हैं
  • तुन का वृक्ष

पुल्लिंग

  • इन्द्र की नौ निधियों के भंडारी देवता- विशेष; जैन मतानुसार उन्नीस अहंत का उपासक विशेष, तुनका पेड़

कुवेर के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एक देवता, जो इंद्र की नौ निधियों के भंडारी और महादेव जी के मित्रसमझे जाते हैं

    विशेष
    . यह विश्रवस ऋषि के पुत्र और रावण सौतेले भाई थे । इनकी माता का नाम इलविला था । कहते हैं, इन्होंने विश्वकर्मा से लंका बनवाई थी । पर जब रावण ने इन्हें वहाँ से निकाल दिया तब इनके तपस्या करने पर ब्रह्मा ने इन्हें देवता बनाकर उत्तर दिशा का राज्य दे दिया और इंद्र का भंडारी बना दिया । यह समस्त संसार के स्वामी समझें जाते हैं । इनके एक आँख तीन पैर और आठ दाँत हैं । देवता होने पर भी इन का कहीं पूजन नहीं होता । कोई कोई इन्हें पुलस्त्य ऋषि का भी पुत्र बतलाते हैं ।

  • जैन मत में वर्तमान अवसर्पिणी (कावगति) के १९ वे अर्हत् का एक उपासक
  • तुन का पेड़

विशेषण

  • बुरा, खराब
  • बुरे या बेढंगे होठवाला

कुवेर के तुकांत शब्द

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