लिच्छवि

लिच्छवि के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

लिच्छवि के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एक इतिहासप्रसिद्ध राजवंश जिसका राज्य किसी समय में नैपाल, मगध और काशल मे था

    विशेष
    . प्राचीन संस्कृत साहित्य में क्षत्रियों की इस शाखा का नाम 'निच्छवि' या 'निच्छिवि' मिलता है । पाली रूप 'लिच्छवि' है । मनुस्मृति के अनुसार लिच्छवि लोग व्रात्य क्षत्रिय थे । उसमें इनकी गणना झल्ल, मल्ल, नट, करण, खश और द्रविड़ के साथ की गई है । ये 'लिच्छवि' लोग वैदिक धर्म के विरोधी थे । इनकी कई शाखाएँ दूर दूर तक फैली थीं । वैशालीवाली शाखा में जैन तीर्थंकर महावीर स्वामी हुए और कोशल की शाक्य शाखा में गौतम बुद्ध प्रादुर्भूत हुए । किसी समय मिथिला से लेकर मगध और कोशल तक इस वंश का राज्य था । जिस प्रकार हिंदुओं के संस्कृत ग्रंथों में यह वंश हीन कहा गया है, उसी प्रकार बौद्धों और जैनों के पालि और प्राकृत ग्रंथों मे यह वंश उच्च कहा गया है । गौतम बुद्ध के समसामयिक मगध के राजा बिंबसार ने वैशाली के लिच्छाव लोगों के यहाँ संबंध किया था । पीछे गुप्त सम्राट् ने भी लिच्छवि कन्या से विवाह किया था ।

लिच्छवि के कुमाउँनी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • नेपाल, कोशल, मगध देशों पर शासन करने वाला प्राचीन राजवंश (ने०बृ० को०)

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