muu.Dhgarbh meaning in hindi
मूढ़गर्भ के हिंदी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
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गर्भ का बिगड़ना जिससे गर्भस्राव आदि होता है, बिगड़ा हुआ गर्भ
विशेष
. सुश्रुत के अनुसार रास्ता चलने, सवारी पर चढ़ने, गिरने-पड़ने, चोट लगने, उल्टा लेटने, मल मूत्र का वंश रोकने, रूखा, कड़ुवा या तीखा भोजन करने, वमन, विरेचन, हिलने-डोलने आदि से गर्भबंधन ढीला हो जाता है और उसकी स्थिति बिगड़ जाती है। इससे पेट, पार्श्व, वस्ति आदि में पीड़ा होती है तथा और भी अनेक उपद्रव होते हैं। मूढ़गर्भ चार प्रकार का होता है—कील, प्रतिखुर, वीजक और परिघ। यदि गर्भ कील को तरह आकर योनि मुख बंद कर दे, तो उसे 'कील' कहते हैं। यदि एक हाथ, एक पैर और माथा बाहर निकले और बाकी देह रुकी रहे, तो उसे 'प्रतिखुर' कहते हैं। यदि एक हाथ और माथा निकले, तो 'बीजक' कहलाता है; और यदि भ्रूण डंडे की तरह आकर अड़े; तो वह गर्भ 'परिघ' कहलाता है। इसमें प्रायः शल्य चिकित्सा की जाती है।
मूढ़गर्भ के तुकांत शब्द
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