नागर-मोथा

नागर-मोथा के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

नागर-मोथा के मैथिली अर्थ

  • दे. मोथा

नागर-मोथा के हिंदी अर्थ

नागरमोथा

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एक प्रकार का तृण या घास

    विशेष
    . इसमें इधर उधर फैली या निकली हुई टहनियाँ नहीं होतीं जड के पास चारों ओर सीधी लँबी पत्तियाँ निकलती हैं जो शर या मूँज की पत्तियों की सी नोकदार और बहुत कम चौड़ाई की होती हैं । पत्तियों के बिचोबीच एक सीधी सींक निकलती है जिसके सिरे पर फूलों की ठोस मंजरी होती है । यह हाथ भर तक ऊँचा होता है और तालों के किनारे प्रायः मिलता है । इसकी जड़ सूत में फँसी हुई गाँठों के रूप की और सुगंधित होती है । नागरमोथे की जड़ मसाले और औषध के काम में आती है । वैद्यक में नागरमोथा चरपरा, कसैला, ठंढा तथा पित्त, ज्वर, अतिसार, अरुचि, तृषा और दाह को दूर करनेवाला माना जाता है । जितने प्रकार के मोथे होते हैं उनमें नागरमोथा उत्तम माना जाता है ।

    उदाहरण
    . वैद्य ने दवा बनाने के लिए नागरमोथा को जड़ सहित उखाड़ लिया।

नागर-मोथा के कन्नौजी अर्थ

नागर मोथा

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एक प्रकार का सुगंधित तृण, जिसकी जड़ मसाले और दवा के काम आती है
  • एक प्रकार का सुगन्धित तृण जिसकी जड़ मसाले और दवा के काम आती है

नागर-मोथा के बुंदेली अर्थ

नागरमोथा

संज्ञा, पुल्लिंग

  • नदी नालों की रेत में पैदा होने वाली एक वास गोंदरा की जड़ जो औषधियों और गन्ध द्रव्यों को बनाने के काम आती है

नागर-मोथा के ब्रज अर्थ

नागरमोथा

पुल्लिंग

  • ओषधि विशेष

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