nagaraadi meaning in hindi
नगरादि के हिंदी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
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नगर का स्थापन और निर्माण , शहर बनाना या बसाना
विशेष
. अग्निपुराण में लिखा है कि शहर बसाने के लिये राजा को पहले एक या आधा योजन लंबा सुंदर स्थान चुनना चाहिए और बाजार आदि बनवाने चाहिए । नगर में अग्निकोण में सुनारों आदि के लिये, दक्षिण में नाचने गानेवालों और वेश्याओं आदि के लिये, नैऋर्त्य में नटों और कैवतों आदि के लिये, पश्चिम में रथ और शास्त्र आदि बनानेवालों के लिये वायुकोण में नौकर चाकरों और दासों आदि के लिये, उत्तर में ब्राह्मणों यति और सिद्धों आदि के लिये, ईशान कोण में फल फलहरी और अन्न आदि बेचनेवालों के लिये और पूर्व में योद्धाओं आदि के रहने कि लिये स्थान बनवाना चाहिए । इसके अतिरिक्त पूर्व में क्षत्रियों के लिये, दक्षिण में वैश्यों के लिये और पश्चिम में शूद्रों के लिये स्थान बनाना चाहिए; और नगर के चारों ओर सेना रखनी चाहिए । दक्षिण में श्मशान, पश्चिम में गौओं आदि के रहने और चरने आदि के लिये परती जमीन और उत्तर में खेत होने चाहिए । नगर में स्थान स्थान पर देवमंदिर होने चाहिए ।
नगरादि के तुकांत शब्द
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