narakaasur meaning in braj
नरकासुर के ब्रज अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
- पृथ्वी के गर्भ से उत्पन्न एक असुर जिसका वध कृष्ण ने किया था
नरकासुर के हिंदी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
-
पुराणानुसार पृथ्वी के गर्भ से उत्पन्न एक प्रसिद्ध असुर जिसे विष्णु ने प्रागज्योतिषपुर का राज्य दिया था
विशेष
. कहते हैं, जिस समय भगवान् ने बराह का अवतार लिया था उस समय उन्होने पृथ्वी के साथ गमन किया था जिससे उसे गर्भ रह गया था। जब देवताओं को मालूम हुआ कि इस गर्भ में एक बड़ा और बली असुर है तब उन्होंने पृथ्वी का प्रसव रोक दिया। इस पर पृथ्वी ने भगवान् से प्रार्थना की। भगवान् ने वर दिया कि त्रेता में जब रामचंद्र के हाथ से रावण का वध होगा तब तुम्हारे गर्भ से एक पुत्र उत्पन्न होगा। और इस बीच में तुम्हें कोई कष्ट न होगा। जिस समय रावण मारा गया उस समय पृथ्वी के गर्भ से उसी स्थान पर इस असुर का जन्म हुआ जिस स्थान पर सीता का जन्म हुआ था। पृथ्वी के इस बालक को राजा जनक ने 16 वर्ष के आयु तक अपने यहाँ रखकर पाला-पोसा और पढ़ाया-लिखाया था। जब नरक 16 वर्ष का हो गया तब पृथ्वी उसे जनक के यहाँ से ले आई। उस समय पृथ्वी ने अपने पुत्र को उसके जन्म के संबंध की सारी कथा सुनाई और विष्णु सा स्मरण किया। विष्णु नरक को लेकर प्राग्ज्योतिषपुर गए और उन्होंने उसे वहाँ का राजा बना दिया। उसी समय विदर्भ की राजकुमारी माया के साथ नरक का विवाह भी हो गया। उस समय विष्णु ने उसे समझा दिया था कि तुम ब्राह्मणों और देवताओं आदि के साथ कभी विरोध न करना, उन्होंने उसे एक दुर्भेद्य रथ दिया था। नरक कुछ दिनों तक तो बहुत अच्छी तरह राज्य करता रहा पर जब बाणासुर घूमता-फिरता प्राग्ज्योतिषपुर पहुँचा तब नरक भी उसके संसंर्ग के कारण दुष्ट हो गया और देवताओं आदि को कष्ट देने लगा। उसी अवसर पर एक बार वशिष्ठ कामाक्षा देवी का दर्शन करने के लिए वहाँ गए थे, लेकिन नरक ने उन्हें नगर में घुसने तक नहीं दिया। इस पर वशिष्ठ ने बहुत नाराज होकर शाप दिया था कि शीघ्र ही तुम्हारे पिता के हाथ से तुम्हारी मृत्यु होगी। इस पर बाणासुर की सम्मति से नरक तपस्या करने लगा जिससे प्रसन्न होकर ब्रह्मा ने उसे वर दिया कि तुम्हें देवता, असुर, राक्षस आदि में से कोई न मार सकेगा और तुम्हारा राज्य सदा बना रहेगा। इसके बाद उसे भगदत्त, महाशीर्ष, मद्दवान औऱ सुमाली नामक चार पुत्र हुए। तब उसने हयग्रीव, गुरु और उपसुंद आदि असुरों की सहायता से इंद्र को जीता और बहुत ही अत्याचार करना आरंभ किया। अंत में श्रीकृष्ण ने अवतार लेकर प्राग्ज्योतिषपुर पर चढ़ाई की और अपने सुदर्शन चक्र से नरक का सिर काट डाला। कहते हैं कि इसके भंडार में जितना धन आदि था उतना कुबेर के भंडार में भी नहीं था। वह सब धन रत्न आदि श्रीकृष्ण अपने साथ द्वारका ले गए थे।
नरकासुर के अवधी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
- प्रसिद्ध राक्षस
नरकासुर के कन्नौजी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
- एक प्रसिद्ध राक्षस जिसका वध श्रीकृष्ण ने किया था
नरकासुर के तुकांत शब्द
संपूर्ण देखिए
सब्सक्राइब कीजिए
आपको नियमित अपडेट भेजने के अलावा अन्य किसी भी उद्देश्य के लिए आपके ई-मेल का उपयोग नहीं किया जाएगा।
क्या आप वास्तव में इन प्रविष्टियों को हटा रहे हैं? इन्हें पुन: पूर्ववत् करना संभव नहीं होगा