naTnaaraayaN meaning in hindi
नटनारायण के हिंदी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
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एक राग जो हनुमत् के मत से मेघ राग का तीसरा पुत्र और भरत के मत से दीपक राग का पुत्र है, जबकि सोमेश्वर और कल्लिनाथ के मत से यह छह रागों में से एक है तथा कामोदी, कल्याणी, आभीरी, नाटिका, सारंगी और नट हंबीरा इसकी छह रागिनियाँ हैं
विशेष
. यह संपूर्ण जाति का एक राग है, इसमें सब शुद्ध स्वर लगते हैं और यह हेमंत ऋतु में रात के समय 21 दंड से 26 दंड तक गाया जाता है। कुछ लोग इसे मधुमाध, बिलावल के मेल से बान हुआ संकर राग भी मानते हैं। एक और शास्त्रकार के मत से यह षाड़व जाति का राग है। इसमें निषाद वर्जित है और यह बरसात में तीसरे पहर गाया गाया जाता है। उसके अनुसार बिलावल, कामोदी, सावेरी, सुहवी और सोरठ इसकी रागनियाँ और शुद्धनट, मेघनट, हम्मीरनट, सारंगनट, छायानट, कामोदनट, केदारनट, मेघनट, गौड़नट, भूपालनट, जयजयनट, शंकरनट, हीरनट, श्यामनट, वराड़ीनट, विभासनट, विहागनट, और शंकरा-भरणनट इसके पुत्र हैं, पर वास्तव में ये सब संकर राग हैं जो नट तथा भिन्न-भिन्न रागों के मेल से बनते हैं।
नटनारायण के तुकांत शब्द
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