निर्वाण

निर्वाण के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

निर्वाण के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Masculine

  • salvation, liberation (from existence
  • used in Buddhist Philosophy as a technical term)
  • extinction

निर्वाण के हिंदी अर्थ

विशेषण

  • (दीपक, अग्नि आदि) बुझा हुआ
  • (ग्रह या नक्षत्र) अस्त, डूबा हुआ
  • शांत, धीमा पड़ा हुआ
  • मृत, मरा हुआ
  • निश्चल
  • शून्यता को प्राप्त
  • बिना बाण का

संज्ञा, पुल्लिंग

  • आग या दीए का बुझना, ठंडा होना
  • शरीर से जीवन या प्राण निकल जाना, मृत्यु, न रह जाना
  • अस्त, गमन, डूबना
  • अस्त होना, अस्तगत
  • अंत, समाप्ति
  • निवृत्ति
  • शांति
  • हाथी को धोना या नहाना
  • संगम, संयोग, मिलन
  • समाप्ति, पूर्णता
  • शांति
  • मुक्ति, मोक्ष, परम गति

    विशेष
    . यद्यपि मुक्ति के अर्थ में निर्वाण शब्द का प्रयोग गीता, भागवत, रघुवंश, शारीरिक भाष्य इत्यादि नए पुराने ग्रंथों में मिलता है, तथापि यह शब्द बौद्धों का पारिभाषिक है। सांख्य, न्याय, वैशेषिक, योग, मीमांसा (पूर्व) और वेदांत में क्रमशः मोक्ष, अपवर्ग, निःश्रेयस, मुक्ति या स्वर्गप्राप्ति तथा कैवल्य शब्दों का व्यवहार हुआ है, पर बौद्ध दर्शन में बराबर निर्वाण शब्द ही आया है और उसकी विशेष रूप से व्याख्या की गई है। बौद्ध धर्म की दो प्रधान शाखाएँ हैं- हीनयान (उत्तरीय) और महायान (दक्षिणी)। इनमें से हीनयान शाखा के सब ग्रंथ पाली भाषा में हैं और बौद्ध धर्म के मूल रूप का प्रतिपादन करते हैं। महायान शाखा कुछ पीछे की है और उसके सब ग्रंथ सस्कृत में लिखे गए हैं। महायान शाखा में ही अनेक आचार्यों द्वारा बौद्ध सिद्धांतों का निरूपण गूढ़ तर्कप्रणाली द्वारा दार्शनिक दृष्टि से हुआ है। प्राचीन काल में वैदिक आचार्यों का जिन बौद्ध आचार्यों से शास्त्रार्थ होता था वे प्रायः महायान शाखा के थे। अतः निर्वाण शब्द से क्या अभिप्राय है इसका निर्णय उन्हीं के वचनों द्वारा हो सकता है। बोधिसत्व नागार्जुन ने माध्यमिक सूत्र में लिखा है कि 'भवसंतति का उच्छेद ही निर्वाण है, अर्थात् अपने संस्कारों द्वारा हम बार -बार जन्म के बंधन में पड़ते हैं इससे उनके उच्छेद द्वारा भवबंधन का नाश हो सकता है। रत्नकूटसूत्र में बुद्ध का यह वचन हैः राग, द्वेष और मोह के क्षय से निर्वाण होता है। बज्रच्छेदिका में बुद्ध ने कहा है कि निर्वाण अनुपधि है, उसमें कोई संस्कार नहीं रह जाता। माध्यमिक सूत्रकार चंद्रकीर्ति ने निर्वाण के संबंध में कहा है कि सर्वप्रपंचनिवर्तक शून्यता को ही निर्वाण कहते हैं। यह शून्यता या निर्वाण क्या है ! न इसे भाव कह सकते हैं, न अभाव। क्योंकि भाव और अभाव दोनों के ज्ञान के क्षप का ही नाम तो निर्वाण है, जो अस्ति और नास्ति दोनों भावों के परे और अनिर्वचनीय है। माधवाचार्य ने भी अपने सर्वदर्शनसंग्रह में शून्यता का यही अभिप्राय बतलाया है—'अस्ति, नास्ति, उभय और अनुभय इस चतुष्कोटि से विनिमुक्ति ही शून्यत्व है'। माध्यमिक सूत्र में नागार्जुन ने कहा है कि अस्तित्व (है) और नास्तित्व (नहीं है) का अनुभव अल्पबुद्धि ही करते हैं। बुद्धिमान लोग इन दोनों का अपशमरूप कल्याण प्राप्त करते हैं। उपयुक्त वाक्यों से स्पष्ट है कि निर्वाण शब्द जिस शून्यता का बोधक है उससे चित्त का ग्राह्यग्राहक संबंध ही नहीं है। मैं भी मिथ्या, संसार भी मिथ्या। एक बात ध्यान देने की है कि बौद्ध दार्शनिक जीव या आत्मा की भी प्रकृत सत्ता नहीं मानते। वे एक महाशून्य के अतिरिक्त और कुछ नहीं मानते।

  • एक उपनिषद्

निर्वाण के पर्यायवाची शब्द

संपूर्ण देखिए

निर्वाण के ब्रज अर्थ

विशेषण

  • मुक्त

    उदाहरण
    . श्री हरि पद निर्वान।

  • शांत
  • अचल, स्थिर

निर्वाण के मैथिली अर्थ

संज्ञा

  • मोक्ष
  • मृत्यु

Noun

  • salvation.
  • death.

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