paashupatras meaning in hindi

पाशुपतरस

  • स्रोत - संस्कृत

पाशुपतरस के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • वैद्यक में एक प्रकार का रसौषध

    विशेष
    . रसेंद्रसार संग्रह में इसके बनाने की विधि दी हुई है। यह इस प्रकार तैयार होती है—एक भाग पारा, दो भाग गंधक, तीन भाग लोहा भस्म, और तीनों के बराबर विष लेकर चीते के काढ़े में भावना दे, फिर उसमें 32 भाग धतूरे के बीज का भस्म मिलाएँ। इसके उपरांत सोंठ, पीपल, मिर्च, लौंग, तीन-तीन भाग, जावित्री और जायफल आधा-आधा भाग, तथा विट, सैधव, सामुद्र, उदभिद, सोंचर, सज्जी, एरंड (अंडी), इमली की छाल का भस्म, चिचड़ीक्षार, अश्वत्थक्षार, हड़, जवाखार, हींग, जीरा, सोहागा, सब एक-एक भाग मिलाकर नींबू के रस में भावना दें और घुँघची के बराबर गोली बना लें। भिन्न-भिन्न अनुपात के साथ इसका सेवन करने से अग्निमांद्य, अपच और हृदय के रोग दूर होते हैं तथा हैजे में तुरंत फायदा होता है। तालमूली के रस में देने से उदरामय मोचरस के साथ अतीसार, मट्ठे और सेंधा नमक के साथ ग्रहणी इत्यादि रोग दूर होते हैं।

पाशुपतरस के तुकांत शब्द

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