पलास

पलास के अर्थ :

पलास के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Masculine

  • see पलाश

पलास के हिंदी अर्थ

संस्कृत ; संज्ञा, पुल्लिंग

  • कनवास नाम का एक मोटा कपड़ा, वि॰ दे॰ 'कनवास'
  • प्रसिद्ध वृक्ष जो भरातवर्ष के सभी प्रदेशों और सभी स्थानों में पाया जाता है , पलाश , ढाक , टेसू , केसू , धारा , काँवरिया

    विशेष
    . पलास का वृक्ष मैदानों और जंगलों ही में नहीं, ४००० फुट ऊँची पहाड़ियों की चोटियों तक पर किसी न किसी रूप में अवश्य मिलता है । यह तीन रूपों में पाया जाता है—वृक्ष रूप में, क्षुप रूप में और लता रूप में । बगीचों में यह वृक्ष रूप में और जंगलों और पहाड़ों में अधिकतर क्षुप रूप में पाया जाता है । लता रूप में यह कम मिलता है । पत्ते, फूल और फल तीनों भेदों के समान ही होते हैं । वृक्ष बहुत ऊँचा नहीं होता, मझोले आकार का होता है । क्षुप झाड़ियों के रूप में अर्थात् एक स्थान पर पास पास बहुत से उगते हैं । पत्ते इसके गोल और बीच में कुछ नुकीले होते हैं जिनका रंग पीठ की ओर सफेद और सामने की ओर हरा होता है । पत्ते सीकों में निकलते हैं और एक में तीन तीन होते हैं । इसकी छाल मोटी और रेशेदार होती है । लकड़ी बड़ी टेढ़ी मेढ़ी होती है । कठिनाई से चार पाँच हाथ सीधी मिलती है । इसका फूल छोटा, अर्धचंद्राकार और गहरा लाल होता है । फूल को प्रायः टेसू कहते हैं और उसके गहरे लाल होने के कारण अन्य गहरी लाला वस्तुओं को 'लाल टेसू' कह देते हैं । फूल फागुन के अंत और चैत के आरंभ में लगते हैं । उस समय पत्ते तो सबके सब झड़ जाते हैं और पेड़ फूलों से लद जाता है जो देखने में बहुत ही भला मालूम होता है । फूल झड़ जाने पर चौड़ी चौड़ी फलियाँ लगती है जिनमें गोल और चिपटे बीज होते हैं । फलियों को 'पलास पापड़ा' या 'पलास पापड़ी' और बीजों को 'पलास- बीज' कहते हैं । इसके पत्ते प्रायः पत्तल और दोने आदि के बनाने के काम आते हैं । राजपूताने और बंगाल में इनसे तंबाकू की बीड़ियाँ भी बनाते हैं । फूल और बीज ओषधिरूप में व्यवहृत होते हैं । वीज में पेट के कीड़े मारने का गुण विशेष रूप से है । फूल को उबालने से एक प्रकार का ललाई लिए हुए पीला रंगा भी निकलता है जिसका खासकर होली के अवसर पर व्यवहार किया जाता है । फली की बुकनी कर लेने से वह भी अबीर का काम देती है । छाल से एक प्रकार का रेशा निकलता है जिसको जहाज के पटरों की दरारों में भरकर भीतर पानी आने की रोक की जाती है । जड़ की छाल से जो रेशा निकलता है उसकी रस्सियाँ बटी जाती हैं । दरी और कागज भी इससे बनाया जाता है । इसकी पतली डालियों को उबालकर एक प्रकार का कत्था तैयार किया जाता है जो कुछ घटिया होता है और बंगाल में अधिक खाया जाता है । मोटी डालियों और तनों को जलाकर कायला तैयार करते हैं । छाल पर बछने लगाने से एक प्रकार का गोंद भी निकलता है जिसको 'चुनियाँ गोंद' या पलास का गोंद कहते हैं । वैद्यक में इसके फूल को स्वादु, कड़वा, गरम, कसैला, वातवर्धक शीतज, चरपरा, मलरोधक तृषा, दाह, पित्त कफ, रुधिरविकार, कुष्ठ और मूत्रकृच्छ का नाशक; फल को रूखा, हलका गरम, पाक में चरपरा, कफ, वात, उदररोग, कृमि, कुष्ठ, गुल्म, प्रमेह, बवासीर और शूल का नाशक; बीज को स्तिग्ध, चरपरा गरम, कफ और कृमि का नाशक और गोंद को मलरोधक, ग्रहणी, मुखरोग, खाँसी और पसीने को दूर करनेवाला लिखा है ।

    उदाहरण
    . प्रफुलित भए पलास दसौं दिसि दव सी दहकत ।

  • एक मांसाहारी पक्षी जो गीध की जाति का होता है

अंग्रेज़ी ; संज्ञा, पुल्लिंग

  • वह गाँठ जो दो रस्सियो या एक ही रस्सी के दो छोरों या भागों को परस्पर जोड़ने के लिये दी जाय, (लश॰), क्रि॰ प्र॰—करना

पलास के पर्यायवाची शब्द

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पलास के यौगिक शब्द

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पलास के कन्नौजी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • ढाक, टेसू

पलास के गढ़वाली अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • संसी, छोटी सँडसी

Noun, Feminine

  • pliers.

पलास के मगही अर्थ

अरबी ; संज्ञा

  • दे. परास

पलास के मैथिली अर्थ

संज्ञा

  • एक वृक्ष

Noun

  • a tree Butea Frondosa.

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