फुरना

फुरना के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

फुरना के हिंदी अर्थ

अकर्मक क्रिया

  • स्फुटित होना, निकलना, उद्भूत होना, प्रकट होना उदय होना

    उदाहरण
    . लोग जानै बौरी भयो गयो यह काशी पुरी फुरी मति अति आयो जहाँ हरि गाइए । . नील नलिन श्याम, शोभा अगनित काम, पावन ह्वदय जेहि उर फुरति ।

  • प्रकाशित होना, चमक उठना, झलक पड़ना

    उदाहरण
    . आधी रात बीती सब सोए जिय जान आन राक्षसी प्रभंजनी प्रभाव सो जनायो है । बीजरी सी फुरी भाँति बुरी हाथ छुरी लोह चुरी ड़ीठि जुरी देखि अंगद लजायो है ।

  • फड़कना, फड़फडाना, हिलाना

    उदाहरण
    . अजहूँ अपराध न जानकी की भुज बाम फुरे मिलि लोचन सों । हनुमान (शब्द॰) । ४ . उग्यो न धनु जनु वीर विगत महि किधों कहु सुभट दूरे । रोषे लखन विकट भृकुठी करि भुज अरु अधर फुरे ।

  • स्फुटित होना, उच्चरित होना, मुँह से शब्द निकलना

    उदाहरण
    . उठि के मिले तंदुल हरि लीन्हें मोहन बचन फुरे । सूरदास स्वामी की महिमा टारी नाहिं टरे । . सूर सोच सुख करि भरि लोचन अंतर प्रीति न थोरी । सिथिल गात मुख बचन फुराति नहिं ह जो गई मति भोरी ।

  • पूरा उतरना, सत्य ठहरना, ठीक निकलना, जैसे सोचा समझा या कहा गया था वैसा ही होना

    उदाहरण
    . फुरी तुम्हारी बात कही जो मों सों रही कन्हाई ।

  • प्रभाव उत्पन्न करना, असर करना, लगना

    उदाहरण
    . फुरे न यंत्र मंत्र नहिं लागे चले गुणी गुण हारे । प्रेम प्रीति की व्यथा तप्त तनु सो मोहिं डारति मारे । . यंत्र न फुरत मंत्र नहिं लागत प्रीति सिरा जाति ।

  • सफल होना, सोचा हुआ परिणाम उत्पन्न करना

    उदाहरण
    . फुरै न कछु उद्योग जहँ उपजै अति मन सोच ।

फुरना के अंगिका अर्थ

क्रिया

  • सच्चा ठहरना, पूरा उतरना, प्रकाशित होना चमक उठना, मुख से शब्द निकालना, फड़कना

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