पीपल

पीपल के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

पीपल के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Masculine

  • the pipal tree

पीपल के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • बरगद की जाति का एक सिद्ध वृक्ष जो भारत में प्रायः सभी स्थानों पर अधिकता से पाया जाता है

    विशेष
    . यह वृक्ष ऊँचाई में बरगद के समान ही होता है, पर इसमें उसकी तरह जटाएँ नहीं फूटतीं। पत्ते इसके गोल होते हैं और आगे की ओर लंबी गावदुम नोक होती है। इसकी छाल सफे़द और चिकनी होती है। लकड़ी पीली और कमज़ोर होती है और जलाने के सिवा और किसी काम की नहीं होती। इसका गोदा (फल) बरगद के गोदे की अपेक्षा छोटा और चिपटा तथा पकने पर यथेष्ट मीठा होता है। गोते लगने का समय बैसाख जेठ है। इसकी डालियों पर लाख के कीड़े पैदा होते हैं और पाले जाते हैं। बस यही इसका विशेष उपयोग है। गोदे बच्चे खाते हैं और पत्ते बकरियों और ऊँटों, हाथियों को खिलाए जाते हैं। छाल के रेशों से ब्रह्मा (बर्मा) वाले एक प्रकार का हरा काग़ज़ बनाते हैं।

    उदाहरण
    . वह सुबह नहा-धोकर पीपल में जल देता है।


संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • एक लता जिसकी कलियाँ प्रसिद्ध औषधि हैं

    विशेष
    . इसेक पत्ते पान के समान होते हैं। कलियाँ तीन चार अंगुल लंबी शहतूत के आकार की होती हैं और उनका पृष्ठभाग भी वैसा ही दानेदार होता है। इसका रंग मटमैला और स्वाद तीखा होता है। छोटी कलियों को छोटी पीपल और बड़ी तथा किंचित् मोटी कलियों को बड़ी पीपल कहते हैं। औषधि के लिए अधिकतर छोटी ही काम में लाई जाती है। वैद्यक के अनुसार पीपल (फली) किंचित् उष्ण, चरपरी, स्निग्ध, पाक में स्वादिष्ट, वीर्यवर्धक, दीपन, रसायन हलकी, रेचक तथा कफ़, वात, श्वास, कास, उदररोग, ज्वर, कुष्ठ, प्रमेह, गुल्म, क्षयरोग, बवासीर, प्लीहा, शूल और आमवात को दूर करनेवाली मानी जाती है।

पीपल के पर्यायवाची शब्द

संपूर्ण देखिए

पीपल के ब्रज अर्थ

  • एक पवित्र वृक्ष , बोधिवृक्ष

पीपल के मालवी अर्थ

संज्ञा

  • पीपल,अश्वत्थ वृक्ष

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