pratimarsh meaning in hindi
प्रतिमर्श के हिंदी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
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सुश्रुत के अनुसार एक प्रकार की शिरोवस्ति या नस्य के पाँच भेदों के अंतर्गत है
विशेष
. प्रतिमर्श प्रायः प्रातःकाल सोकर उठने के समय, नहाने धोने, या दिन को सोकर उठने के उपरांत अथवा संध्या समय किया जात है । इसमें ओषधियाँ ड़ालकर पकाया हुआ घी नाक के । नालो में चढ़ाया जाता है जिससे नाक का मल निकल जाता है, दाँत मजबूत होते हैं, आँखों की ज्योति बढ़ती है, और शरीर हलका हो जाता है । भिन्न भिन्न समय के प्रतिमर्श का भिन्न भिन्न परिणाम बतलाया गया है।
प्रतिमर्श के तुकांत शब्द
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