pratyabhigyaa darshan meaning in hindi

प्रत्यभिज्ञा दर्शन

प्रत्यभिज्ञा दर्शन के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

प्रत्यभिज्ञा दर्शन के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • माहेश्वर संप्रदाय का एक दर्शन जिसके अनुसार भक्तवत्सल महेश्वर ही परमेश्वर माने जाते हैं

    विशेष
    . इस दर्शन में केवल महेश्वर को सारे जगत् का कारण माना है, और कहा है कि जिस प्रकार ऋषि आदि बिना स्त्रीसंयोग के ही मानसपुत्र उत्पन्न करते हैं; उसी प्रकार महादेव भी जड़ जगत् की किसी वस्तु की सहायता के बिना ही केवल अपनी इच्छा से जगत् का निर्माण करते हैं। इस मत के अनुसार किसी कार्य का कारण महेश्वर के अतिरिक्त और कुछ हो ही नहीं सकता। महेश्वर को न तो कोई सृष्टि करने के लिए नियुक्त या उत्तेजित करता है और न उसे किसी पदार्थ की सहायता की आवश्यकता होती है। इसीलिए उसे स्वतंत्र कहते हैं। जिस प्रकार दर्पण में मुख दिखाई देता है, उसी प्रकार जगदीश्वर में प्रतिबिंब पड़ने के कारण सब पदार्थ दिखाई देते हैं। जिस प्रकार बहुरूपिए तरह-तरह का रूप धारण करते हैं उसी प्रकार महेश्वर भी स्थावर जंगम आदि का रूप धारण करते हैं और इसीलिए यह सारा जगत् ईश्वरात्मक है। महेश्वर ज्ञाता और ज्ञान स्वरूप है, इसलिए घट-पट आदि का जो ज्ञान होता है, वह सब भी परमेश्वर स्वरूप ही है।

प्रत्यभिज्ञा दर्शन के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Masculine

  • a philosophical school which recognises Lord Shiv as the Supreme Power i.e. Brahm

प्रत्यभिज्ञा दर्शन के तुकांत शब्द

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