प्रयाग

प्रयाग के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत
  • अथवा - परियाग

प्रयाग के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एक प्रसिद्ध तीर्थ जो गंगा-यमुना के संगम पर है, इलाहाबाद, प्रयागराज

    विशेष
    . सरस्वती नदी के तट पर प्राचीन काल में बहुत से यज्ञादि होते थे, इसी प्रकार आगे चलकर गंगा-जमुना के संगम पर भी हुए। इसीलिए इसका प्रयाग नाम पड़ा। यह तीर्थ बहुत प्राचीन काल से प्रसिद्ध है और यहाँ के जल से प्राचीन राजाओं का अभिषेक होता था। इस बात का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में है। वनवास के समय श्रीरामचंद्र प्रयाग में भारद्वाज ऋषि के आश्रम पर होते हुए गए थे। प्रयाग बहुत दिनों तक कोशल राज्य के अंतर्गत था। अशोक आदि बौद्ध राजाओं के समय यहाँ बौद्धों के अनेक मठ और विहार थे। अशोक का स्तंभ अब तक किले के भीतर खड़ा है जिसमें समुद्रगुप्त की प्रशस्ति खुदी हुई है। फाहियान नामक चीनी यात्री सन् 414 ई॰ में यहाँ आया था। उस समय प्रयाग कोशल राज्य में ही था। प्रयाग के उस पार ही प्रतिष्ठान नामक प्रसिद्ध दुर्ग था जिसे समुद्रगुप्त ने बहुत द्दढ़ किया था। प्रयाग का अक्षयवट बहुत प्राचीन काल से प्रसिद्ध है। चीनी यात्री ह्वेनसांग ईसा की सातवीं शताब्दी में भारतवर्ष में आया था। उसने अक्षयवट को देखा था। आज भी लाखों यात्री प्रयाग आकर इस वट का दर्शन करते है जो सृष्टि के आदि से माना जाता है। वर्तमान रूप में जो पुराण में मिलते हैं उनमें मत्स्यपुराण बहुत प्राचीन और प्रामाणिक माना जाता है। इस पुराण के 102 अध्याय से लेकर 107 अध्याय तक में इस तीर्थ के माहात्म्य का वर्णन है। उसमें लिखा है कि प्रयाग प्रजापति का क्षेत्र है जहाँ गंगा और यमुना बहती हैं। साठ सहस्त्र वीर गंगा की और स्वयं सूर्य जमुना की रक्षा करते हैं। यहाँ जो वट है उसकी रक्षा स्वयं शूलपाणि करते हैं। पाँच कुंड हैं जिनमें से होकर जाह्नवी बहती है। माघ महीने में यहाँ सब तीर्थ आकर वास करते हैं। इससे उस महीने में इस तीर्थवास का बहुत फल है। संगम पर जो लोग अग्नि द्वारा देह विसर्जित करते हैं वे जितने रोम हैं उतने सहस्र वर्ष स्वर्गलोक में वास करते हैं। मत्स्य पुराण के उक्त वर्णन में ध्यान देने की बात यह है कि उसमें सरस्वती का कहीं उल्लेख नहीं है जिसे पीछे से लोगों ने त्रिवेणी के भ्रम में मिलाया है। वास्तव में गंगा और जमुना की दो ओर से आई हुई धाराओं और एक दोनों की सम्मिलित धारा से ही त्रिवेणी हो जाती है।

  • वह स्थान जहाँ दो नदियाँ मिलती हैं

    उदाहरण
    . बदरीनाथ के रास्ते में कई प्रयाग पड़ते हैं।

  • बहुत से यज्ञों का स्थान, वह स्थान जहाँ बहुत से यज्ञ हुए हों
  • यज्ञ
  • इंद्र
  • घोड़ा

प्रयाग के कुमाउँनी अर्थ

पिरयाग

संज्ञा, पुल्लिंग

  • भागीरथी, अलकंदा, मंदाकिनी, पिंडर आदि उत्तराखंड की नदियों के संगम पर बने हुए तीर्थ स्थल
  • गंगा-यमुना के संगम पर हिंदुओं का प्रसिद्ध तीर्थ, प्रयागराज-इलाहाबाद

प्रयाग के ब्रज अर्थ

पुल्लिंग

  • एक प्रसिद्ध तीर्थ जो गंगा-यमुना के संगम पर बसा है

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