सामवेद

सामवेद के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत
  • देखिए - साम

सामवेद के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • भारतीय आर्यों के चार वेदों में से प्रसिद्ध तीसरा वेद जिसमें यज्ञ आदि के समय गाए जाने वाले स्तोत्र हैं

    विशेष
    . पुराणों में कहा गया है कि इस वेद की एक हज़ार संहिताएँ थीं, परंतु आजकल इनमें से केवल एक ही संहिता मिलती है। यह संहिता दो भागों में विभक्त है, जिनमें से एक भाग 'आर्चिक' और दूसरा 'उत्तरार्चिक' कहलाता है। इन दोनों भागों में जो 1810 ऋचाएँ हैं, उनमें से अधिकांश ऋग्वेद में आई हुई हैं। ये सब ऋचाएँ प्रायः गायत्री छंद में ही हैं। यज्ञों के समय जो स्तोत्र आदि गाए जाते थे, उन्हीं स्तोत्रों का इस वेद में संग्रह है। भारतीय संगीत शास्त्र का आरंभ इन्हीं स्तोत्रों से होता है। इस वेद का उपवेद गांधर्ववेद है।

सामवेद के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Masculine

  • the second of the four Vedas, after the ऋग्वेद

सामवेद के ब्रज अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • देखिए : 'साम'

    उदाहरण
    . भरि भई दस रथ के आँगन सामवेद धुनि छाई।

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