सकुच

सकुच के अर्थ :

  • अथवा - सकुची

सकुच के बुंदेली अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • संकोच

सकुच के हिंदी अर्थ

संस्कृत ; संज्ञा, पुल्लिंग, स्त्रीलिंग

  • संकोच, लाज, शर्म

    उदाहरण
    . सुनु मैया तेरी सौं करौं याकी टेव लरन की, सकुच बेंचि सी खाई । . हम सों उन सों कौन सगाई । हम अहीर अबला ब्रजवासी वै जदुपति जदूराई । कहा भयो जु भए नँदनंदन अब इह पदवी पाई । सकुच न आवत घोष बसत की तजि ब्रज गए पराई । . सकुच सुरत आरंभ ही, बिछुरी लाज लजाय । ढरकि ढार ढुरि ढिग भई, ढीठ ढिठाई आय ।

सकुच के अंगिका अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • संकोच

सकुच के ब्रज अर्थ

सकुच'

अकर्मक क्रिया, अकर्मक

  • लजाना , संकोच करना

    उदाहरण
    . हम सों जो चाहत कट्यो, कत जिय नकुषत दे० १,६६/२५१

  • सिकुड़ना

विशेषण, स्त्रीलिंग

  • दे० 'संकोच' ; लाज ; डर , भय

    उदाहरण
    . देखि सहस सकुच मानत राखि सकत न ईस ।

  • संकुचित , कसा हुआ; कुच सहित

    उदाहरण
    . –छतियाँ सकुच वाकी को कहै समान तात ।

सकुच के मगही अर्थ

हिंदी ; संज्ञा

  • लाज, संकोच, शर्म

सकुच के तुकांत शब्द

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