sanaay meaning in braj
सनाय के ब्रज अर्थ
क्रिया-विशेषण
-
सानकर , युक्त करके
उदाहरण
. सुगंध तहाँ बिबिधा करि लाय, चिता धरि देह सुगंध सनाय ।
सनाय के हिंदी अर्थ
संज्ञा, स्त्रीलिंग
-
एक पौधा जिसकी पत्तियाँ दस्तावर होती हैं , स्वर्णपत्नी , सोनामुखी
विशेष
. इस पौधे की अधिकतर जातियाँ अरब, मिस्र, यूनान, इटली आदि पश्चिम के देशों में होतो है । केवल एक जाति का पौधा भारतवर्ष के सिंध, पंजाब, मदरास आदि प्रांतों में थोड़ा बहुत होता है । इसकी पत्तियाँ इमली की तरह एक सींके के दोनों ओर लगती हैं । एक सींके में ५ से ८ जोड़े तक पत्तियाँ लगती हैं जो देखने में पीलापन लिए हरे रंग की होती हैं । इसमें चिपटी लंबी फलियाँ लगती हैं जो सिरे पर गोल होती हैं । इसकी पत्तियों का जुलाब हकीम ओर वैद्य दोनों साधारणत: दिया करते हैं । इसकी फलियों में भी रेचन गुण होता है, पर पत्तियों से कम । वैद्यक में सनाय रेचक तथा मंदाग्नि, विषम ज्वर, अजीर्ण, प्लीहा, यकृत्, पांडु रोग आदि को दुर करनेवाली कही गई है ।
सनाय के अंगिका अर्थ
विशेषण
- जिसकी रक्षा करने वाला कोई स्वामी हो
सनाय के बुंदेली अर्थ
संज्ञा, स्त्रीलिंग
- दस्त बन्द करने की एक औषधि, सोनामुखी
सनाय के मगही अर्थ
संज्ञा
- दे. 'सनइआ'
सनाय के तुकांत शब्द
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