sa.nlakshyakram meaning in hindi
संलक्ष्यक्रम के हिंदी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
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साहित्य शास्त्र के अनुसार व्यंग्य के दो भेदों में से एक , वह व्यंजना जिसमें वाच्यार्थ से व्यंगार्थ की प्राप्ति का क्रम लक्षित हो
विशेष
. इसकी द्वारा वस्तु और अलंकार की व्यंजना होती है । जैसे, 'पेड़ का पत्ता नहीं हिलता' इसका व्यंग्यार्थ हुआ कि 'हवा नहीं चलती' । इसमें वाच्यार्थ के उपरांत व्यंग्यार्थ की प्राप्ति लक्षित होती है । इसके विपरीत जहाँ रसव्यंजना या भाव- व्यंजना में क्रम लक्षित नहीं होता, उसे असंलक्ष्यक्रम व्यंग्य कहते हैं ।
संलक्ष्यक्रम के तुकांत शब्द
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