सव्य

सव्य के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

सव्य के ब्रज अर्थ

विशेषण

  • बायाँ , वाम ; विरुद्ध ; दक्षिण , दाहिना

संज्ञा, पुल्लिंग

  • यज्ञसूत्र , यज्ञोपवीत ; चंद्र, सूर्य, ग्रहण ; अंगिरा पुत्र ; विष्णु

सव्य के हिंदी अर्थ

विशेषण

  • विशेष—सव्य शब्द का वाम और दक्षिण दोनों अर्थ में प्रयोग होता है, पर साधारणतः यह वाम के ही अर्थ में प्रयुक्त होता है
  • दक्षिण, दाहिना
  • प्रतिकूल, विरुद्ध, खिलाफ
  • अनुकूल, उपयुक्त, दक्षिण
  • वाम, बायाँ
  • जो घृत से सिंचित न हो, शुष्क, रूखा

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एक वैदिक ऋषि

    उदाहरण
    . सव्य का वर्णन ऋग्वेद में मिलता है ।

  • यज्ञोपवीत
  • चंद्र या सूर्यग्रहण के दस प्रकार के ग्रासों में एक प्रकार का ग्रास
  • अंगिरा के पुत्र का नाम जो ऋग्वेद के कई मंत्रों के द्रष्टा थे

    विशेष
    . कहते हैं कि अंगिरा के तपस्या करने पर इंद्र ने उनके घर पुत्र रूप में जन्म ग्रहण किया था, जिनका नाम सव्य पड़ा ।

  • विष्णु
  • अग्नि, जो किसी के मृत्युकाल में दीप्त की जाय

सव्य के मैथिली अर्थ

विशेषण

  • वाम (अङ्ग)
  • जनौकें वाम कान्ह पर रखने

Adjective

  • left (limb).
  • having sacred thread on left shoulder.

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