sh meaning in kannauji
ष के कन्नौजी अर्थ
- देवनागरी वर्णमाला का इकतीसवाँ और ऊष्म वर्ग का दूसरा व्यंजन वर्ण. इसका उच्चारण स्थान मूर्द्धा है, इसीलिए इसे मूर्धन्य ‘ष’ कहते हैं. इस वर्ण का प्रयोग कन्नौजी, ब्रज और अवधी में प्रायः नहीं होता है. कन्नौजी बोली में ‘ष' के स्थान पर 'ख' का उच्चारण होता है अर्
ष के अँग्रेज़ी अर्थ
Noun
- the second of the sibilant-trio (श, ष, स) of the Devna:gri: alphabet. In Modern Hindi sound pattern, however, this has lost its identity and is invariably pronounced as palatal sibilant (श) rather than as cerebral (as it originally was)
ष के हिंदी अर्थ
संज्ञा
- संस्कृत या हिंदी वर्णमाला के व्यंजन वर्णों में ३१ वाँ वर्ण या अक्षर , इसका उच्चारणस्थान मूर्धा है , इससे यह मूर्धंन्य वर्णों में कहा गया है , इसका प्रयोग केवल संस्कृत के शब्दों में होता है और उच्चारण दो प्रकार से होता है , कुछ लोग 'श' के समान इसका उच्घारण करते हैं और कुछ लोग 'ख' के समान , इसी से हिंदी की पुरानी लिखावट में इस अक्षर का व्यवहार कवर्गीय 'ख' के स्थान पर होता था , जैसे,— देषि (देखि), लषन (लखन) इत्यादि
-
हिंदी वर्णमाला का इकतीसवाँ व्यंजन अक्षर जिसका उच्चारण स्थल मूर्धा है जिसके कारण इसे मूर्धन्य कहते हैं
उदाहरण
. ष का उच्चारण श और ख दोनों की तरह होता है । - वर्णमाला का इकतीसवां व्यंजन जो भाषा-विज्ञान तथा व्याकरण के अनुसार ऊष्म, मूर्धन्य, अघोष, महाप्राण तथा ईषद्विवृत है
संज्ञा, पुल्लिंग
- विद्वान् पुरुष, आचार्य
- कुच, चूचुक
- नाश
- शेष, बाका
- प्राप्त ज्ञान का क्षय
- मुक्ति, मोक्ष
- स्वर्ग
- अंत, समाप्ति, अवधि
- गर्भ,
- धैर्य, सहिष्णुता
- निद्रा, नींद
- कच, केश, बाल
- गर्भविमाचन
विशेषण
- बहुत अच्छा, उत्तम, श्रेष्ठ
- विद्वान्
ष के गढ़वाली अर्थ
- देवनागरी वर्णमाला का इकतीसवां व्यंजन वर्ण
- the thirty first consonant of Devanagari alphabet.
ष के मैथिली अर्थ
- वर्णमालाक एकतीसम व्यन्जन
- 31st consonant of alphabet.
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