शकुंतला

शकुंतला के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

शकुंतला के गढ़वाली अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • पौराणिक ऋषि विश्वामित्र व अप्सरा मेनका की पुत्री जिसका पालन-पोषण उत्तराखण्ड स्थित मालिनी नदी के तट पर कण्व ऋषि द्वारा हुआ था, राजा दुष्यंत की पत्नी तथा यश्वस्वी सम्राट भरत की माता

Noun, Feminine

  • daughter of sage Vishwamitra and fairy Menaka who was brought up by sage Kanva in the Ashram situated by the side of Malini river near Kotdwar in District Garhwal; she gave birth to Bharata son of king Dushyanta

शकुंतला के हिंदी अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • राजा दुष्यंत की स्त्री जो भारतवर्ष के सुप्रसिद्ध राजा भरत की माता और मेनका अप्सरा की कन्या थी

    विशेष
    . महाभारत में लिखा है कि शकुंतला का जन्म विश्वामित्र के वीर्य से मेनका अप्सरा के गर्भ से हुआ था जो इसे वन में छोड़कर चली गई थी। वन में शकुंतों (पक्षियों) आदि ने हिंसक पशुओं से इसकी रक्षा की थी इसी से इसका नाम शकुंतला पड़ा। वन में से इसे कण्व ऋषि उठा लाए थे और अपने आश्रम में रखकर कन्या के समान पालते थे। एक बार राजा दुष्यंत अपने साथ कुछ सैनिकों को लेकर शिकार खेलने निकले और घूमते-फिरते कण्व ऋषि के आश्रम में पहुँचे। ऋषि उस समय वहाँ उपस्थित नहीं थे, इससे युवती शकुंतला ने ही राजा दुष्यंत का आतिथ्य सत्कार किया था। उसी अवसर पर दोनों में पहले प्रेम और फिर गंधर्व विवाह हो गया। कुछ दिनों के बाद राजा दुष्यंत वहाँ से अपने राज्य को चले गए। कण्व मुनि जब लौटकर अपने आश्रम में आए, तब वे यह जानकर बहुत प्रसन्न हुए कि शकुंतला का विवाह दुष्यंत से हो गया। शकुंतला उस समय गर्भवती हो चुकी थी अतः समय पाकर उसके गर्भ से बहुत ही बलवान् और तेजस्वी पुत्र उत्पन्न हुआ, जिसका नाम भरत रखा गया। कहते हैं, इस देश का भारतवर्ष नाम इसी के कारण पड़ा कुछ दिनों बाद शकुंतला अपने पुत्र को लेकर राजा दुष्यंत दरबार में पहुँची, परंतु शकुंतला को बीच में दुर्वासा ऋषि का शाप मिल चुका था, इससे राजा ने बिल्कुल न पहचाना और स्पष्ट कह दिया कि न तो मैं तुम्हैं जानता हूँ और न तुम्हें अपने यहाँ आश्रय दे सकता हूँ। परंतु उसी अवसर पर एक आकाशवाणी हुई जिससे राजा को विदित हुआ कि यह मेरी ही पत्नी है और यह पुत्र भी मेरा ही है। उसी समय उन्हें कणव मुनि के आश्रम की भी सब बातें स्मरण हो आई और उन्होंने शकुंतला को अपनी प्रधान रानी बनाकर अपने यहाँ रख लिया।

  • महाकवि कालिदास का लिखा हुआ एक प्रसिद्ध नाटक जिसमें राजा दुष्यंत और शकुंतला के प्रेम, विवाह, प्रत्याख्यान और ग्रह्यण आदि का वर्णन है

शकुंतला के ब्रज अर्थ

स्त्रीलिंग

  • राजा दुष्यंत की पत्नी जो ऋषि विश्वामित्र और मेनका की पुत्री थी

शकुंतला के तुकांत शब्द

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