suuchikaabharaN meaning in hindi

सूचिकाभरण

  • स्रोत - संस्कृत

सूचिकाभरण के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • वैद्यक में एक प्रकार की औषधि जो सन्निपात, विसूचिका आदि प्राणनाशक रोगों तथा साँप के काटने की अंतिम औषधि मानी गई है

    विशेष
    . इस औषध का बिल्कुल अंतिम अवस्था में ही प्रयोग किया जाता है। यदि इससे फल न हुआ तो, कहते हैं, फिर रोगी नहीं बच सकता। इसके बनाने की कई विधियाँ हैं। एक विधि यह है कि रस, गंधक, सीसा, काष्ठविष और काले साँप का विष इन सबको खरल कर क्रम से रोहित मछली, भैंस, मोर, बकरे और सूअर के पित्त में भावना देकर सरसों के बराबर गोली बनाई जाती है, जो अदरक के रस के साथ दी जाती है। दूसरी विधि यह है कि काष्ठविष, सर्पविष, दारुमुच प्रत्येक एक एक भाग, हिंगुल तीन भाग, इन सबको रोहित मछली, भैंस, मोर, बकरे और सूअर के पित्त में एक एक दिन भावना देकर सरसों के बराबर गोली बनाते हैं जो नारियल के जल के साथ देते हैं। तीसरी विधि यह है कि विष एक पल और रस चार माशे, इन दोनों को एक साथ शरावपुट में बंद करके सुखाते हैं और बाद दो प्रहर तक बराबर आँच देते हैं। सन्निपात के रोगी को-चाहे वह अचेत हो या मृतप्राय-सिर पर उस्तुरे से क्षत कर सूई की नोक से यह रस लेकर उसमें भर देते हैं। साँप के काटने पर भी इसका प्रयोग किया जाता है। कहते हैं, इन सब प्रयोगों के कारण रोगी के शरीर में बहुत अधिक गरमी आने लगती है; इसीलिए इनके उपरांत अनेक प्रकार के शीतल उपचार किए जाते हैं।

सूचिकाभरण के तुकांत शब्द

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