tej-pattaa meaning in hindi
तेजपत्ता के हिंदी अर्थ
संस्कृत ; संज्ञा, पुल्लिंग
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दारचीनी की जाति का एक पेड़ जो लंका, दारजिलिंग, काँगड़ा जयंतिथा और खासी की पहाड़ियों में होता है और जिसकी पत्तियाँ दाल तरकारी आदि में मसाले की तरह डाली जाती हैं , जिस स्थान पर कुछ समय तक अच्छी वर्षा होती हो और पीछे कड़ी धूप पडती हो वहाँ यह पेड़ अच्छी तरह बढ़ता है
विशेष
. जयंतिया और खासी में इसकी खेती होती है । पहले सात सात फुट की दूरी पर इसके बीज बोए जाते हैं और जब पौधा पाँच वर्ष का हो जाता है तब उसे दूसरे स्थान पर रोप देते हैं । उस समय तक छोटे पौधों की रक्षा की बहुत आवश्यकता होती है । उन्हें धूप आदि से बचाने के लिये झाड़ियों की छाया में रखते हैं । रोपने के पाँच वर्ष बाद इसमें काम आने योग्य पत्तियाँ निकलने लगती हैं । प्रति वर्ष कुआर से अगहन तक और कहीं कहीं फागुन तक इसकी पत्तियाँ तोड़ी जाती है । साधारण वृक्षों से प्रति वर्ष और पूराने तथा दुर्बल वृक्षों से प्रति दूसरे वर्ष पत्तियाँ ली जाती हैं । प्रत्येक वृक्ष से प्रति वर्ष १० से २५ सेर तक पत्तियाँ निकलती हैं । वृक्ष से प्रायः छोटी छोटी डालियाँ काट ली जाती हैं और धूप में सुखाई जाती हैं । इसके बाद पत्तियाँ अलग कर ली जाती हैं और उसी रूप में बाजार में बिकती हैं । ये पत्तियाँ शरीफे की पत्तियों की तरह पर उनसे कड़ी होती हैं और सुगंधित होने के कारण दाल तरकारी आदि में मसाले की तरह डाली जाती हैं । इन पत्तियों से एक प्रकार का सिरका तैयार होता है । इसे हरें के साथ मिला कर इनसे रंग भी बनाया जाता है । तेजपत्ते के फूल और फल लौंग के फूलों और फलों की तरह होते हैं, लकड़ी लाली लिए हुए सफेद होती है और उससे मेज कुरसी आदि बनती हैं । कुछ लोग दारचीनी और तेजपत्ते के पेड़ को एक ही समझते हैं पर वास्तव में ये दोनों एक ही जाति के पर अलग अलग पेड़ हैं । तेजपत्ते के किसी किसी पेड़ से भी पतली छाल निकलती है जो दारचीनी के साथ ही मिला दी जाती है । इसकी छाल से एक प्रकार का तेल भी निकलता है जिससे साबुन बनाया जाता है । पत्तियों और छाल का व्यव— हार औषध में भी होता है । वैद्यक में इसे लघू, उष्ण, रूखा और कफ, वात, कंडू, आम तथा अरूचि का नाशक माना है ।उदाहरण
. तेजपत्ते के उपयोग से भोजन स्वादिष्ट बनता है ।
तेजपत्ता के मगही अर्थ
तेजपात
अरबी ; संज्ञा
- दे. 'चतपता'
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