telephone meaning in garhwali

टेलिफोन

टेलिफोन के अर्थ :

  • स्रोत - अंग्रेज़ी

टेलिफोन के गढ़वाली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • टेलीफोन, दूरभाष

Noun, Masculine

  • telephone.

टेलिफोन के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • वह यंत्र जिसके द्वारा एक स्थान पर कहा हुआ शब्द कितने ही कोस दूर के दूसरे स्थान पर सुनाई पड़ता है, दूरभाषक

    विशेष
    . साधारण युक्ति यह है कि दो चोंगे लो जिनका मुँह एक ओर काग़ज़, चमड़े आदि से मढ़ा हो तथा दूसरी ओर खुला हो। मढ़े हुए चमड़े के बीचों-बीच से लोहे का एक लंबा तार ले जाकर दोनों चोंगों के बीच लगा दो। यदि एक चोंगे में कोई बात कही जाएगी और दूसरे चोंगे में (जो दूर पर होगा) किसी का कान लगा होगा तो वह बात सुनाई पड़ेगी। पर यह युक्ति थोड़ी ही दूर के लिए काम दे सकती है। अधिक दूर के लिए बिजली के प्रवाह का सहारा लिया जाता है। चुंबक की एक छड़, जिसमें रेशम (या और कोई ऐसा पदार्थ जिससे होकर बिजली का प्रवाह न जा सके) से लिपटा हुआ ताँवे का तार कमानी की तरह घुमाकर जड़ा रहता है, एक नली के भीतर बैठाई रहती है। चुंबक के एक छोर के पास लोहे का एक पत्तर बँधा रहता है। यह पत्तर काठ की खोली में रहता है- जिसका मुँह एक ओर चोंगे की तरह खुला रहता है। इस प्रकार दो चोगों की आवश्यकता टेलीफोन में होती है एक बोलने के लिए, दूसरा सुनने के लिए। इन दोनों चोंगों के बीच तार लगा रहता है। शब्द वायु में उत्पन्न तरंग या कंप मात्र हैं। मुँह से निकला हुआ शब्द चोंगे के भीतर की वायु को कंपित करता है जिसके कारण बँधे हुए लोहे के पत्तर में भी कंप होता है अर्थात् वह आगे पीछे जल्दी-जल्दी हिलता है। इस हिलने से चुंबक की शक्ति एक बार घटती और एक बार बढ़ती रहती है। इस प्रकार तार की मंडलाकार कमानी के एक बार एक ओर दूसरी बार दूसरी ओर बिजली उत्पन्न होती रहती है । इसी बिजली के प्रवाह द्वारा बहुत दूर के स्थानों पर भी शब्द पहुँचाया जाता है। टेलिफोन के द्वारा स्थल पर हजारों कोस दूर तक की और समुद्र में सैकड़ों कोस तक की कही बातें सुनाई पड़ती है।

टेलिफोन के तुकांत शब्द

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