trin meaning in garhwali
तिरण के गढ़वाली अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
- तिनका, तृण, घास, घास-फूस |
Noun, Masculine
- a small blade of grass, straw.
तिरण के अँग्रेज़ी अर्थ
Noun, Masculine
- a straw
तिरण के हिंदी अर्थ
तृन, तृण, तिरिन, त्रिण, त्रिन, त्रिन्न
संस्कृत ; संज्ञा, पुल्लिंग
- 'तृण'
- वह उद्भिज्ज जिसे चौपाए चरते हैं
- ऐसी वनस्पतियाँ जिनके तने या कांड कमज़ोर होते हैं; तिनका
- घास; दूब
- खरपात; सरपत, जैसे- नरकट, सरकंडा आदि
- कुछ विशिष्ट प्रकार की वनस्पतियों की एक जाति या वर्ग जिसके कांड या पेड़ी में काठ या लकड़ीवाला अंश नहीं होता, गूदा ही गूदा होता है, इस वर्ग के पौधों में ऐसी लंबी-लंबी पत्तियाँ होती हैं जिनमें केवल लंबाई के बल नसें होती हैं, जैसे-ऊख, नरकट, सरकंडा आदि
- घास या उसका डंठल, मुहा०-(मुंह या दांतों में) तृण गहना या पकड़ना = उसी प्रकार दीन-हीन बनकर सामने आना जिस प्रकार सीधी-सादी गौ मंह में घास या उसका डंठल लिये हुए आती है, तृण गहाना या पकड़ाना पूरी तरह से दीन और नम्र बनाकर वशीभूत करना, तृण तोड़ना = किसी सुंदर वस्तु को देखकर उसे बुरी नजर से बचाने के तृणराज लिए तिनका तोड़ने का टोटका करना, (किसी से) तृण तोड़ना = सदा के लिए संबंध तोड़ना, (दे० ' तिनका ' के अंतर्गत ' तिनका तोड़ना ' मुहा०) पद-तृणवत् = अत्यंत तुच्छ
- तृण
तिरण से संबंधित मुहावरे
तिरण के अवधी अर्थ
तिरिन
संज्ञा, स्त्रीलिंग
- तृण, कुछ भी
तिरण के मगही अर्थ
तिरिन
संज्ञा
- घास, कुश, दूब आदि उद्भिद जिसमें छिलका और हीर पृथक नहीं होते तथा जिनकी पत्तियों पर केवल लम्बाई के बल नसें होती हैं; अत्यंत तुच्छ वस्तु
तिरण के मैथिली अर्थ
तृण
संज्ञा
- घास
Noun
- grass.
तृन के तुकांत शब्द
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