उघाड़

उघाड़ के अर्थ :

उघाड़ के ब्रज अर्थ

सकर्मक क्रिया, सकर्मक

  • खोलना

    उदाहरण
    . बदन उघारत ही मदन सुयोधन ही, द्रोपदी ज्यों नाम मुख तेरो ही करति है । के० I, १६/६७ कलई ।

  • पहने हुए वस्त्र हटाकर नंगा करना

    उदाहरण
    . एक अचंभो भयो घनआनंद हैं नित ही पल-पाट उघारे ।

उघाड़ के कुमाउँनी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • खुलापन-'ढक- उठाड़'-कभी खुलना, कभी होना

उघाड़ के मालवी अर्थ

विशेषण

  • खुला, साफ

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