varaahmihir meaning in hindi
वराहमिहिर के हिंदी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
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ईसा की पाँचवीं-छठी शताब्दी के एक भारतीय गणितज्ञ, खगोलज्ञ एवं ज्योतिष के प्रसिद्ध आचार्य जिनके बनाए बृहत्संहिता, पंचसिद्धांतिका और बृहज्जातक नामक ग्रंथ प्रचलित हैं
विशेष
. इनके समय के संबंध में अनेक प्रकार के प्रवाद कुछ वचनों के आधार पर प्रचलित हैं। जैसे- ज्योतिर्विदाभरण के एक श्लोक में कालिदास, धन्वंतरि आदि के साथ वराहमिहिर भी विक्रम की सभा के नौ रत्नों में गिनाए गए हैं। पर इन नौ नामों में से कई एक भिन्न-भिन्न काल से सिद्ध हो चुके हैं। अतः यह श्लोक प्रमाण के योग्य नहीं। इसी प्रकार कुछ लोग ब्रह्मगुप्त के टीकाकार पृथुस्वामी के इस वचन का आश्रय लेते हैं- 'नवाधिक पंचशतसंख्य शाके वराहमिहिराचार्य्या दिवंगतः।' और शक 509 में वराहमिहिर की मृत्यु मानते हैं। पर अपनी पंच-सिद्धांतिका में 'रोमकसिद्धांत' का 'अहर्गण' स्थिर करते हुए वराहमिहिर ने शक संवत् 427 लिया है। ज्योतिषी लोग अपना समय लेकर ही अहर्गण स्थिर करते हैं। अतः इससे ईसा की पाँचवी शताब्दी में वराहमिहिर का होना सिद्ध होता है। अपने बृहज्जातक के उपसंहाराध्याय में आचार्य ने अपना कुछ परिचय दिया है। उसके अनुसार ये अवंती (उज्जयिनी) के रहने वाले थे। 'कायित्थ' स्थान में सूर्यदेव को प्रसन्न करके इन्होंने वर प्राप्त किया था। इनके पिता का नाम आदित्यदास था।उदाहरण
. वराहमिहिर बृहत्संहिता के अतिरिक्त कई अन्य ग्रन्थों के रचयिता थे।
वराहमिहिर के तुकांत शब्द
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