विशेष

विशेष के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

विशेष के अँग्रेज़ी अर्थ

Adjective

  • special, specific
  • particular
  • distinctive, characteristic
  • typical
  • much

विशेष के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • भेद , अंतर , फरक
  • प्रकार , तरह , ढंग
  • नियम , कायदा
  • विचित्रता
  • व्यक्ति
  • सार , निचोड़
  • तारतम्य , मुनासिब
  • वह जो साधारण के अतिरिक्त और उससे अधिक हो , अधिकता , ज्यादती
  • अवयव , अंग
  • वस्तु , पदार्थ , चीज
  • तिल का पौधा
  • साहित्य में एक प्रकार का अलंकार , विशेष नामक अलंकार , विशेष—मम्मट ने अपने ग्रंथ काव्यप्रकाश में इसका विवरण दिया है , इसके तीन भेद कहे गए हैं , पहला वह भेद है जिसमें बिना किसी आधार के ही आधेय का वर्णन होता है , जैसे,—बिनु बारिद बिजुरी बिना बारि लसत युग मीन , बिधु ऊपर तम तोम यह निरखी रीति नवीन , दूसरा भेद वह है जिसमें थोड़ा सा ही काम करने पर बहुत बड़ा काम या लाभ हो , जैसे,—पाइ चुके फल चारिहू करत गंगजल पान , तीसरा भेद वह है जिसमें एक चीज का अनेक स्थानों में होता वर्णित होता है , जैसे—घर बाहर अध ऊरधौ सब ठाँ राम लखाय
  • वैशोषिक दर्शन के अनुसार सात प्रकार के पदार्थों में से एक प्रकार का पदार्थ

    विशेष
    . कणाद ने द्रव्य, गुण, कर्म, सामान्य, विशेष, समवाय और अभाव ये सात पदार्थ माने हैं । 'विशेष' वे गुण हैं जिनके कारण कोई एक पदार्थ शेष दूसरे पदार्थों से भिन्न समझा जाता है । दो वस्तुओं में रुप, रस और गंध आदि में जो अंतर होता है वह इसी 'विशेष' गुण के कारण होता है । रूप, रस

  • गध, स्पर्श, स्नेह, द्रवत्व, बूद्धि, सुख, दुख, इच्छा, द्वेष, प्रयत्न, धर्म, अधर्म, संस्कार और शब्द ये वैशेषिक गुण या विशेष गुण कहलाते हैं , कणाद के दर्शन में इन्हीं विशेष पदार्थों या गुणों आदि का विवेचन है इसी लिये वह 'वैशेषिक दर्शन' कहलाता है
  • प्रवर्ग , वर्ग (को॰)
  • मस्तक पर लगाया जानेवाला चंदन या केसर का तिलक (को॰)
  • वह शब्द जो किसी दूसरे शब्द के अर्थ को सीमित कर देता है (को॰)
  • ज्यामिति में कर्ण (को॰)
  • परिचायक चिह्न , प्रभेदक चिह्न (को॰) १९
  • रोग की वह अवस्था जब सुधार आरंभ होता है (को॰)

विशेषण

  • असाधरण, असामान्य
  • अधिक, प्रचुर

विशेष के ब्रज अर्थ

विशेषण

  • दे० 'विशिष्ट'
  • साधारण के अतिरिक्त

पुल्लिंग

  • भेद , अंतर , फरक
  • प्रकार , तरह , ढंग
  • नियम , कायदा
  • विचित्रता
  • व्यक्ति
  • सार , निचोड़
  • तारतम्य , मुनासिब
  • वह जो साधारण के अतिरिक्त और उससे अधिक हो , अधिकता , ज्यादती
  • अवयव , अंग
  • वस्तु , पदार्थ , चीज
  • तिल का पौधा
  • साहित्य में एक प्रकार का अलंकार , विशेष नामक अलंकार , विशेष—मम्मट ने अपने ग्रंथ काव्यप्रकाश में इसका विवरण दिया है , इसके तीन भेद कहे गए हैं , पहला वह भेद है जिसमें बिना किसी आधार के ही आधेय का वर्णन होता है , जैसे,—बिनु बारिद बिजुरी बिना बारि लसत युग मीन , बिधु ऊपर तम तोम यह निरखी रीति नवीन , दूसरा भेद वह है जिसमें थोड़ा सा ही काम करने पर बहुत बड़ा काम या लाभ हो , जैसे,—पाइ चुके फल चारिहू करत गंगजल पान , तीसरा भेद वह है जिसमें एक चीज का अनेक स्थानों में होता वर्णित होता है , जैसे—घर बाहर अध ऊरधौ सब ठाँ राम लखाय
  • वैशोषिक दर्शन के अनुसार सात प्रकार के पदार्थों में से एक प्रकार का पदार्थ

    विशेष
    . कणाद ने द्रव्य, गुण, कर्म, सामान्य, विशेष, समवाय और अभाव ये सात पदार्थ माने हैं । 'विशेष' वे गुण हैं जिनके कारण कोई एक पदार्थ शेष दूसरे पदार्थों से भिन्न समझा जाता है । दो वस्तुओं में रुप, रस और गंध आदि में जो अंतर होता है वह इसी 'विशेष' गुण के कारण होता है । रूप, रस

  • गध, स्पर्श, स्नेह, द्रवत्व, बूद्धि, सुख, दुख, इच्छा, द्वेष, प्रयत्न, धर्म, अधर्म, संस्कार और शब्द ये वैशेषिक गुण या विशेष गुण कहलाते हैं , कणाद के दर्शन में इन्हीं विशेष पदार्थों या गुणों आदि का विवेचन है इसी लिये वह 'वैशेषिक दर्शन' कहलाता है
  • प्रवर्ग , वर्ग (को॰)
  • मस्तक पर लगाया जानेवाला चंदन या केसर का तिलक (को॰)
  • वह शब्द जो किसी दूसरे शब्द के अर्थ को सीमित कर देता है (को॰)
  • ज्यामिति में कर्ण (को॰)
  • परिचायक चिह्न , प्रभेदक चिह्न (को॰) १९
  • रोग की वह अवस्था जब सुधार आरंभ होता है (को॰)

विशेष के मैथिली अर्थ

विशेषण

  • अधिक, अतिरिक्त, 2. ख़ास, असाधारण

संज्ञा

  • वैशिष्ट्य, अन्तर, भिन्नता

Adjective

  • special, specific.

Noun

  • distinction, difference.

अन्य भारतीय भाषाओं में विशेष के समान शब्द

उर्दू अर्थ :

ख़ास - خاص

अजीब - عجیب

पंजाबी अर्थ :

विशेश - ਵਿਸ਼ੇਸ਼

खास - ਖਾਸ

वखरा विचित्तर - ਵਖਰਾ ਵਿਚਿੱਤਰ

गुजराती अर्थ :

विशेष - વિશેષ

विचित्र - વિચિત્ર

कोंकणी अर्थ :

विशेष

बिलक्षण

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