vishvaamitra meaning in garhwali
विश्वामित्र के गढ़वाली अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
- ऋगवेद के प्रथम द्रष्टा ऋषि
Noun, Masculine
- a sage regarded as the first preceptor of Rigveda.
विश्वामित्र के हिंदी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
-
एक ऋषि जो राजा दशरथ से राम और लक्ष्मण को माँग कर वन में ले गए थे, एक प्रसिद्ध ब्रह्रर्षि जो गाधिज, गाधेय और कौशिक भी कहै जाते हैं
विशेष
. विश्वामित्र कान्यकुब्ज के पुरुवंशी महाराज गाधि के पुत्र थे, परंतु क्षत्रिय कुल में जन्म लेने पर भी अपने तपोबल से ब्रह्मर्षियो में पारगणित हुए । ऋग्वेद के अनेक मंत्र ऐसे हैं जिनके द्रष्टा वश्वमित्र अथवा उनके वंशज माने जाते हैं । इनका विश्वामित्र नाम ब्राह्मणत्व प्राप्त करने पर पड़ा था; नहीं तो इनका पहला क्षत्रिय दशा का नाम 'विश्वरथ' था । ऋग्वेद में अनेक मंत्र ऐसे मिलते हैं जिनसे सिद्ध होता है कि ये यज्ञों में पुरोहित का कार्य करते थे, और वृत्ति के संबंध में इनमें तथा वशिष्ठ में बहुत समय तक बराबर झगड़े बखेड़े होते रहते थे । पुराणों में लिखा है कि राजा गाधि को सत्यवती नाम की एक सुंदरी कन्या उत्पन्न हुई थी । वह कन्या उन्होंने ऋचीक ऋषि को के दी थी । ऋचोक ने एक बार दो अलग अलग चरु तैयार करके अपनी स्त्री सत्यवती को दिए थे और कहा था कि इसमें से यह एक चरु तो तुम खा लेना जिसमें तुम्हें ब्राह्मणों के गुण से संपन्न एक पुत्र होगा; और एक दूसरा चरु अपनी माता को दे देना जिससे उन्हें क्षत्रियों के गुणवाला एक बहुत तेजस्वी पुत्र उत्पन्न होगा । इसी बीच में राजा गाधि अपनी स्त्री सहित वहाँ आए । सत्यवती ने वे दोनों चरु अपनी माता के सामने रख दिए और उनका गुण बतला दिया । माता ने समझा कि ऋचीक ने अपनी स्त्री के लिये बढ़िया चरु तैयार किया होगा; इसलिये उसने उसका चरु तो आप खा लिया और अपना उसे खिला दिया । इससे उसके गर्भ से तो विश्वामित्र का जन्म हुआ, जिसमें क्षत्रिय होने पर भी ब्राह्मणों के से गुण थे, और सत्यवती के गर्भ से जमदग्नि का जन्म हुआ जो ब्राह्मण होने पर भी क्षत्रियों के गुणों से संपन्न थे । विश्वामित्र को शुनःशेफ, देवरात, देवश्रवा, हिरण्याक्ष, गालव, जय, अष्टक, कच्छप, नारायण, नर आदि सौ पुत्र उत्पन्न हुए थे, जिनके कारण इनके कौशिक वंश की बहुत अधिक वृद्धि हुई थी । कहते हैं, एक बार जब विश्वामित्र ने बहुत बड़ा तप किया था, तब इंद्र तथा समस्त देवताओंने भयभीत होकर मेनका नामक अप्सरा को उनका तप भंग करने के लिये भेजा था । इसी मेनका से विश्वामित्र को शकुंतला नामक कन्या उत्पन्न हुई थी जो दुष्यंत को ब्याही गई थी । यह भी प्रसिद्ध है कि इक्ष्वाकु वंश के राजा त्रिशंकु ने एक बार सशरीर स्वर्ग जाने की कामना से एक यज्ञ करना चाहा था । परंतु उनके पुरोहित वशिष्ठ ने कहा कि ऐसा होना असंभव है । इसपर त्रिशंकु ने विश्वामित्र की शरण ली और विश्वामित्र ने उन्हें सशरीर स्वर्ग पहुँचा दिया । यह भी कहा जाता है कि विश्वामित्र बहुत बड़े क्रोधी थे और प्रायः लोगों को शाप दे दिया करते थे । राजा हरिश्चंद्र के सत्य की सुप्रसिद्ध परीक्षा लेनेवाले भी यही माने जाते हैं । पुराणों में इनके संबंध में इसी प्रकार की और भी अनेक कथाएँ प्रचलित हैं ।
विश्वामित्र के पर्यायवाची शब्द
संपूर्ण देखिएविश्वामित्र के ब्रज अर्थ
पुल्लिंग
- वैदिक कालीन एक ऋषि ; मंत्र दृष्टा ; ऋषि विशेष जो तपोबल द्वारा राजर्षि से ब्रह्मर्षि हुये थे
विश्वामित्र के तुकांत शब्द
संपूर्ण देखिए
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