व्यास

व्यास के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

व्यास के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Masculine

  • diameter, calibre
  • diffusion
  • a celebrated ancient Indian sage and savant

व्यास के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • पराशर के पुत्र कृष्ण द्बैपायन जिन्होंने वेंदों का संग्रह, विभाग और संपादन किया था , कहा जाता है, अठारहों , पुराणों महाभारत, भागवत और वेदांत आदि की रचना भी इन्होने की थी

    विशेष
    . इनके जन्म आदि की कथा महाभारत में बहुत विस्तार के साथ दी है । उसमे कहा गया है कि एक बार मत्सगंधा सत्यवती नाव खे रही थी । उसी समय पराशर मुनि वहाँ जा पहुँचे और उसे देखकर आसक्त हो गए । वे उससे बोले कि तुम मेरी कामना पूरू करो । सत्यवती ने कहा । —महाभारत नदी के दोनों ओर ऋषि, मुनि आदि बैठे हुए है और हम लोग को देख रहे है । मै कैसे आपकी कामना पूरी करूँ । इसपर पराशर मुनि के अपने तप के बल से कुहरा खड़ा कर दिया जिससे चारो और अँधेरा छा गया । उस समय सत्यवती ने फिर कहा महाराज, मै अभी कुमारी हूँ; और आपकी कामना पूरी करने से मेरा कौमार नष्ट हो जायगा । उस दशा में में किस प्रकार अपने घर में रह सकूँगी । पराशर ने उत्तर दिया नहीं, इससे तुम्हारा कौमार्थ नष्ट नहीं होगा । तूम मुझसे वर माँगो सत्यवती ने कहा कि मेरे शरीर से मछली की जो गंध आती है, वह न आवे । पराशर ने कहा कि ऐसा ही होगा । उसी समय से उसके शरीर से सुगंध निकलने लगी और तबसे उसका नाम गंधवती या योजनगंधा पड़ा । इसके उपरांत पराशर मुनि ने उसके साथ संभोग किया जिससे उसे गर्भ रह गया और उस गर्भ से इन्ही व्यासदेव की उत्पत्ति हुई । इनका जन्म नदी के बीच के एक टापू में हुआ था ओर इनका रंग बिलकुल काला था; इसीलये इनका नाम कृष्ण द्बैपायन पड़ा । इन्होने बचपन से ही तपस्या आरंभ की ओर बड़े हीन पर वेदों का संग्रह तथा विभाग किया; इसीलिये ये वेदव्यास कहलाए । पीछे से जब शांतनु से सत्ववती का विवाह हुआ, तब अपने पुत्र विचित्रवार्य के मरन पर सत्यवता ने इन्हें बुलाकर विचित्रवार्य का विधवा पात्नया (आंबिका और अंबालिका) के साथ नियोग करने की आज्ञा दी जिससे धुतराष्ट ओर पाड़ु का जन्म हुआ । विदुर भी इन्हीं के वीर्य से उत्पन्त्र हुए थे । ये पाराशर्य, कानीन, बादरायण, सत्यभारत, सत्य़व्रत और सत्य़रत भी कहलाते है । २

  • पुराणानुसार वे अट्ठाईस महर्षि, जिन्होंने भिन्त्र भिन्न कल्पों में जन्म ग्रहण करके वेदों का संग्रह और विभाग किय़ा हा

    विशेष
    . ये सब ब्रह्मा और विष्णु के अवतार माने जाते है; और इनके नाम इस प्रकार है ।—स्वयंभुव, प्रजापति या मनु, उशना, बृहस्पति, सविता, मृत्यु या यम, इंद्र, वसिष्ठ, सारस्वत, त्रिधाम, ऋषिभ य़ा त्रिवृष, सुतेजा या भारद्बाज, अंतरिक्ष या धिर्म, वपृवन् या सुचक्ष, त्रध्यारुणि, धनजय, कृतंजय, ऋतजय, भरद्बाज, गौतम, उत्तम या हर्यत्��, वाचश्रवा या नारायण (इन्हें वेण भी कहते हैं), सोममुख्यायन या तुणविदु, ऋक्ष या वाल्मिकि, शक्ति पराशर, जातुकर्ण और कृष्ण द्बैपायन ।

  • वह ब्राह्मण जो रामायण महाभारत या पुराणों आदि की कथाए लोगों को सुनाता हो , कथावाचक

    उदाहरण
    . तो कभी व्यास बन पुरानी प्रयोजनीय वृत्तांतों की कथा कहा सुनाती है ।

  • वह रेखा जो किसी बिल्कुल गोल रेखा या वृत्त के किसी एक विंदु से बिलकुल सीधी चलकर केंद्र से होती हुई दूसरे सिरे तक पहुँची हो
  • विस्तार , प्रसार , फैलाव
  • वितरण , विभाजन (को॰)
  • समासयुक्त पदों का विश्लेषण या विग्रह (को॰)
  • पृथक्ता , अलगाव (को॰) ९
  • चौड़ाई
  • उच्चारण का एक दोष (को॰)
  • व्यव- स्थापक , संकलन करनेवाला , वह जो संकलन करता हो (को॰)
  • व्यवस्था , संकलन करने का काम (को॰)
  • विस्तारयुक्त विवरण , विस्तृत विवरण (को॰)
  • एक प्रकार का धनुष जिसकी तौल या वजन१००पल की हीती थी (को॰)

व्यास के मैथिली अर्थ

संज्ञा

  • विस्तार, प्रसार
  • धर्मविषयक प्रवचनकर्ता, व्याख्याता
  • (व्याकरण) समस्त पदक फुटाए-फुटाए बनाओल विश्लिष्ट पदबन्ध
  • (गणितमे), वृत्तक पेट अर्थात् केन्द्र स्पर्श करत वृत्तक एक बिन्दुसँ दोसर विन्दु घरि खीचल सरल रेखा

Noun

  • expansion Opp समास।
  • exprment, preacher.
  • analytical transformation of compound word.
  • diameter.

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