yayaati meaning in braj
ययाति के ब्रज अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
- राजा नहुष के पुत्र, शुक्राचार्य की कन्या देवयानी इनसे ब्याही थी
ययाति के हिंदी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
-
राजा नहुष के पुत्र जो चंद्रवंश के पाँचवें राजा थे और जिनका विवाह शुक्राचार्य की कन्या देवयानी के साथ हुआ था, एक रघुवंशी जो राम के एक पूर्वज थे
विशेष
. इनको देवयानी के गर्भ से यदु और तुर्वसु नाम के दो तथा शर्मिष्ठा के गर्भ से द्रुह्यु, अणु और पुरु नाम के तीन पुत्र हुए थे। विशेष दे॰ 'देवयानी'। इनमें से यदु से यादव वंश और पुरु से पौरव वंश का आरंभ हुआ। शर्मिष्ठा इन्हें विवाह के दहेज में मिली थी। शुक्राचार्य ने इन्हें यह कह दिया था कि शर्मिष्ठा के साथ संभोग न करना। पर जब शर्मिष्ठा ने ऋतुमती होने पर इनसे ऋतुरक्षा की प्रार्थना की, तब इन्होंने उसके साथ संभोग किया और उसे संतान हुई। इसपर शुक्रचार्य ने इन्हें शाप दिया कि तुम्हें शीघ्र बुढ़ापा आ जायगा। जब इन्होने शुक्राचार्य को संभोग का कारण बतलाया, तब उन्होंने कहा कि यदि कोई तुम्हारा बुढ़ापा ले लेगा, तो तुम फिर ज्यों के त्यों हो जाओगो। इन्होंने एक-एक करके अपने चारों पुत्रों से कहा कि तुम हमारा बुढ़ापा लेकर अपना यौवन हमें दे दो पर किसी ने स्वीकार नही किया। अंत में पुरु ने इनका बुढ़ापा आप ले लिया और अपनी जवानी इन्हें दे दी। पुनः यौवन प्राप्त करके इन्होंने एक सहस्र वर्ष तक विषयसुख भोगा। अंत में पुरु को अपना राज्य देकर स्वयं वन में जाकर तपस्या करने लगे और अंत में स्वर्ग चले गए। स्वर्ग पहुँचने पर भी एक बार वह इंद्र के शाप से वहाँ से च्युत हुए थे, क्योंकि इन्होंने इंद्र से कहा था कि जैसी तपस्या मैंने की है, वैसी और किसी ने नहीं की। जब ये स्वर्ग से च्युत हो रहे थे, तब मार्ग में इन्हें अष्टक ऋषियों ने रोककर फिर से स्वर्ग भेजा था। इसका उल्लेख ऋग्वेद में भी आया है।उदाहरण
. ययाति नहुष के पुत्र थे।
ययाति के तुकांत शब्द
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