नैवेद्य के पर्यायवाची शब्द
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अक्षत
जो क्षत या खंडित न हुआ हो, अखंडित, जिसका भंजन न हुआ हो या जो टूटा-फूटा न हो, अभंजित, समूचा, साबुत, सर्वांग, संपूर्ण
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अनुग्रह
दूसरे का दुख दूर करने की इच्छा
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अर्घ्य
बहुमूल्य
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आचमन
जल पीना
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आचमनीयक
आचमन के योग्य
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आसन
आसन , बैठने का बिछावन
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आस्वाद
स्वाद लेना
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आहार
भोजन, खाना
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उज्ज्वलता
प्रकाश
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उपभोग
आनंद या सुख प्राप्त करने के लिए किसी वस्तु का भोग करना या उसे व्यवहार में लाना, किसी वस्तु के व्यवहार का सुख, मज़ा लेना
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कृपा
अनुग्रह, दया
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गंध
सुगंध
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घृत
आर्द्र किया हुआ, तर किया या सींचा हुआ, सिंचित
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चंदन
सुगनिधत लकड़ी, एक वृक्ष जिसमें हीर की लकड़ी अति सुगन्धित होती हैं
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चढ़ावा
वे आभूषण जो विवाह के समय कन्या को पहनने के लिये वर-पक्ष की ओर से आते हैं; श्रद्धापूर्वक देवता को चढ़ाया गया सामान
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तांबूल
पान
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दाक्षिण्य
किसी के हित की ओर प्रवृत्त होने का भाव, अनुकूलता, प्रसन्नता
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दीप
प्रकाश करने के लिए बना धातु, मिट्टी आदि का वह पात्र जिसमें तेल और बत्ती डालकर बत्ती को जलाई जाती है, दीपक, दीया, चराग़, जलती हुई बत्ती
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धूप
लोबान का धूप या धुँआं, गंध, द्रव्य जलाकर निकाला हुआ धुँआ।
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निर्मलता
सफाई, स्वच्छता
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निर्माल्य
वह पदार्थ जो किसी देवता पर चढ़ चुका हो, देवता पर चढ़ चुकी हुई चीज़, देवार्पित वस्तु
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पत्र
चिट्ठी पहुँचओनिहार
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परिक्रमा
प्रदक्षिणा
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पाद्य
पद संबंधी, पैर संबंधी
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पुजापा
पुजा की सामग्री
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पुष्प
पौधों में वह अंग जो गोल या लंबी पंखुड़ियों का बना होता है और जिसमें फल उत्पन्न करने की शक्ति होती है, पौधों का वह अवयव जो ऋतु-काल में उत्पन्न होता है, फूल, कुसुम
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प्रसन्नता
तुष्टि, संतोष
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प्रसाद
प्रसन्नता, हर्ष
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फल
आम का फल
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फूल
वृक्ष आदि के विकसित होने की क्रिया ; प्रसन्नता, हर्ष
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भोग
भोगना, व्यवहार में लाना,भोजन, खाद्य, ईश्वर को नैवेद्य लगाना।
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भोगना
पानी या और किसी तरल पदार्थ के संयोग के कारण तर होना , आर्द्र होना , जैसे,— वर्षा से कपड़े भींगना, पानी में दवा भीगना
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भोजन
अन्न-वस्त्र
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मधुपर्क
वैदिक कालक एक लेहा जे अतिथिकेँ सभसँ पहिने देल जाइत छल, मुह मिठाएब
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मैथुन
स्त्री के साथ पुरुष का समागम, संभोग, रतिक्रीड़ा, सहवास
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यज्ञोपवीत
यज्ञसूत्र, जनौ
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रोली
दे. 'रोरी'
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वंदन
भक्ति के नौ भेदों में से एक जिसमें उपासक अपने उपास्य देव का गुणगान करता है, नम्रतापूर्वक की जाने वाली वंदना, स्तुति, प्रार्थना, पूजन
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वंदना
देखिए : 'बंदना'
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षोडश पूजन
षोडशोपचार
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षोडशोपचार
पूजन के पूर्ण अंग जो सोलह माने गए हैं
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संभोग
मैथुन, संभोग।
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स्नान
नहाएब
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स्वच्छता
स्वच्छ होने का भाव, निर्मलता, विशुद्घता, सफाई
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