अबरक

अबरक के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

अबरक के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एक धातु , अभ्रक , भोडल , भोड़र , भुखल

    विशेष
    . यह खानों से निकलती है और बड़े बड़े ढोकों में तह पर तह जमी हुई पहाड़ों पर मिलती है । साफ करके निका- लने पर इसकी तह काँच की तरह निकलती है । अबरक के पत्तर कंदील आदि में लगते हैं तथा विलायत में भी भेजे जाते हैं । वहाँ ये काँच की टट्टी की जगह कीवाड़ के पल्लों में लगाने के काम आते हें । यह धातु आग से नहीं जलती और लचीली होती है । वैज्ञानिक यंत्रों में भी इसका प्रयोग होता है । यह दो रंग की होती है—सफेद और काली । भारतवर्ष में बंगाल, राजस्थान, मद्रास आदि की पहाड़ियों में मिलती है । वैद्य लोग इसके भस्म को वृष्य मानते है और औषधियों में इसका प्रयोग करते हैं । भस्म बनाने में काले रंग का अबरक अच्छा समझा जाता है । निश्चंद्र अर्थात् अभारहित हो जाने पर भस्म बनता है । २

  • एक प्रकार का पत्थर जो खान से निकलता है

    विशेष
    . यह पत्थर बर्तन बनाने के काम आता है । यह बहुत चिकना होता है । इसकी बुकनी चीजों को चमकाने के लिये पालिश या रौगन बनाने के काम में आतो है ।

अबरक के अंगिका अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एक धातु जिसमें तहें होती हैं

अबरक के कन्नौजी अर्थ

अबरख

संज्ञा, पुल्लिंग

  • पत्तरों या वरकों के रूप में पाई जाने वाली एक प्रसिद्ध चमकीली, भुरभुरी धातु

अबरक के कुमाउँनी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • अबरक, अभ्रक, अंग्रेजी में-माइका-अभ्रकम, अभकम-भस्म, औषधि

अबरक के बुंदेली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • अभ्रक (औषधि विशेष)

अबरक के ब्रज अर्थ

पुल्लिंग

  • (अभ्रक, पत्तरों या वरकों के रूप में पाई जाने वाली एक प्रसिद्ध चमकीली भुरभुरी सफेद धातु , अबरख , अभ्रक

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