apDar meaning in braj
अपडर के ब्रज अर्थ
अकर्मक क्रिया, पुल्लिंग, अकर्मक
-
भय , शङ्का , डर , मिथ्या डर
उदाहरण
. सूरदास प्रभु गिरिधर को कौतुक देखि काम धेनु आयौ लिये इन्द्र अपडर डारि । - भयभीत होना , डरना , शंकित होना
अपडर के हिंदी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
-
भय, शंकी
उदाहरण
. समुझि सहम मोहि अपडर अपने । सो सुधि कीन्ह राम नहिं सपने ।
अपडर के तुकांत शब्द
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