अतिशयोक्ति

अतिशयोक्ति के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

अतिशयोक्ति के हिंदी अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • बढ़ा-चढ़ाकर कही गई बात; (इगज़ैजरेशन)
  • अतिरंजना; अत्युक्ति; चमत्कारोक्ति
  • किसी बात को बढ़ा चढ़ाकर कहना
  • (काव्यशास्त्र) एक अर्थालंकार जिसमें किसी की प्रशंसा या निंदा में बहुत बढ़ा-चढ़ाकर बातें की जाती हैं
  • एक अलंकार

    विशेष
    . इसमें उपमान से उपमेय का निगरण लोकसीमा का उल्लंधन प्रधान रुप दिखाया जाता है । जैसे—'गोपिन के अँसुवान के नीर पनारे भए पुनि ह्वै गए नारे । नारे भए नदियाँ बढ़िकै, नदियाँ नद ह्वै गई काटि किनारे । बेगि चलो तो चलो ब्रज में कवि तोख कहै ब्रजराज हमारे । वे नद चाहत सिंधु भए अरु सिंधु ते ह्वै हैं हलाहल सारे' (शब्द॰) । इसके पाँच मुख्य भेद माने गए हैं; यथा—(१) रुपकातिशयोक्ति (२) भेद कातिशयोक्ति, (३) संबंधातिशयोक्ति (४) असंबंधातिशयक्ति और (५) पंचम भेद के अंतर्गत अक्रमातिशयोक्ति, चपला- तिशयोक्ति तथा अत्यातिशयोक्ति हैं ।

  • एक अलंकार जिसमें किसी की निंदा, प्रशंसा आदि करते समय कोई बात साधारण से बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर कही जाती है, (हाइपरबोल) जैसे-आपके मुंह से जो कुछ निकलता था, वही ब्रह्म वाक्य हो जाता था, (इसके रूपकातिशयोक्ति आदि कई भेद है)
  • बढ़ा-चढ़ाकर तथा अपनी ओर से बहुत कुछ मिलाकर कही हुई बात (एगजैजरेशन)

अतिशयोक्ति के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Feminine

  • exaggeration (a figure of speech)

अतिशयोक्ति के मैथिली अर्थ

संज्ञा

  • काव्यक एक अलङ्कार
  • बढ़ा-चढ़ाकर कहनाइ, अतिरञ्जन

Noun

  • a figure of speech.
  • exaggeration.

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