bhaarangii meaning in bundeli
भारंगी के बुंदेली अर्थ
संज्ञा, स्त्रीलिंग
- भारद
भारंगी के हिंदी अर्थ
संज्ञा, स्त्रीलिंग
-
एक बहुवर्षीय झाड़ीदार शाखारहित या कम शाखाओं वाला झाड़ जो पाँच से आठ फुट ऊँचा होता है, एक प्रकार का पौधा, बम्हनेटी, भृंगजा, असवरग
विशेष
. यह पौधा मनुष्य के बराबर ऊँचा होता है। इसकी पत्तियाँ महुए की पत्तियों से मिलती हुई, गुदार और नरम होती हैं और लोग उनका साग बनाकर खाते हैं। इसका फूल सफ़ेद होता है। इसकी जड़, डंठल, पत्ती और फल सब औषध के काम आते हैं। इसके फूल को 'गुल असवर्ग' कहते हैं। इसकी पत्तियों का प्रयोग ज्वर, दाह, हिचकी और त्रिदोष में होता है। वैद्यक में इसके मूल का गुण गरम, रुचिकर, दीपन लिखा है और स्वाद कड़वा और कसैला, चरपरा और रूखा बतलाया है जिसका प्रयोग ज्वरा, श्वास, खाँसी और गुल्मादि में होता है।उदाहरण
. भारंगी की जड़ दवा के रूप में उपयोग होती है।
भारंगी के ब्रज अर्थ
संज्ञा, स्त्रीलिंग
- पौधा विशेष
भारंगी के तुकांत शब्द
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